Sunday 22 October 2017

Pulis diwas : पुलिस स्मृति दिवस

खरी खरी - 114 : स्मृति दिवस पर पुलिस शहीदों को नमन 

     प्रति वर्ष 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है । 20 अक्टूबर 1959 को लद्दाख के पूर्वोत्तर में हमारी पुलिस के 10 जवानों को धोखे से चीनी सैनिकों ने शहीद कर दिया था । देश भर के पुलिस मशानिदेशकों ने जनवरी 1960 के वार्षिक सम्मेलन में प्रति वर्ष 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मना कर अपना कर्तव्य निभाते हुए जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों को श्रध्दांजलि देने का निर्णय लिया ।

     स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से अब तक 34 हजार 418 पुलिसकर्मियों ने कर्तव्य निभाते हुए अपने प्राण न्यौछावर किये । हम इन वीर सपूतों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं । इन पंक्तियों के लेखक ने पुलिस पर कई बार लिखा भी है । पूर्व आईपीएस किरन बेदी ( वर्तमान में पुद्दुचेरी की ले.गवर्नर) पर कविता भी लिखी पुस्तक 'स्मृति लहर' में । 'ये निराले' में भी ट्रेन में डाकुओं से लड़ने वाले एक पुलिस इंसेक्टर की कहानी लिखी है 'पुलिस का अभिमन्यु ।'

     हमारे देश में पुलिस की छवि उतनी अच्छी नहीं है क्योंकि कुछ पुलिसकर्मियों ने वर्दी पर दाग लगाए हैं जिन्हें धुलना आसान नहीं । पुलिस भ्रष्टाचार भी किसी से छिपा नहीं है । लोग पुलिस पर भरोसा नहीं करते जिस कारण उन्हें जनता का स्नेह भी कम मिलता है । ऐसी बात नहीं है कि पुलिस में ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता के पहरुवे नहीं हैं परन्तु एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है । हम कई बार जब ट्रैफिक पुलिस के जवान की सड़क पर कुचले जाने का समाचार पढ़ते हैं तो बहुत दुख होता है । उग्रवादियों द्वारा शहीद कर दिए गए  इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा (अशोक चक्र मरणोपरांत) को कौन भूल सकता है ?

     पुलिस से स्नेह, कर्तव्य और भरोसे की उम्मीद करते हुए एक कुंडली पुलिस को समर्पित करता हूं - 

कैसा अब माहौल बना
पुलिस भरोसे कौन,
स्तुत्य दुर्जन बन गया
रह गया सज्जन मौन,
रह गया सज्जन मौन
पुलिस पर विश्वास नहीं है
जनता है सुरक्षित
ऐसी आस नहीं है, 
कह 'पूरन' हे पुलिस जन
विश्वास जगा दे ऐसा,
मिटे सकल अपराध
किसी को फिर डर कैसा ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.10.2017

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