खरी खरी - 87 : यमुना तेरे हाल पै रोना आया
16.09.2017 को इंडियन कोस्ट गार्ड के जवानों के साथ एक नेता भी यमुना सफाई अभियान में लगने का समाचार पढ़ने में आया । महोदय कभी निगम बोध घाट दिल्ली पर भी यमुना का बेहाल देख लेते । यहां यमुना एक काले नाले में परिवर्तित हो गई है ।
लोग यमुना के किनारे निगमबोध घाट पर शव दाह करते हैं जबकि वहाँ सी एन जी के छै फर्नेस चालू हालत में हैं और ऊपर भी शवदाह होते हैं | यमुना बचाने की बातें नेता, नागरिक, मंत्री सहित सभी लोग करते हैं परन्तु बचाता कोई नहीं | प्रतिदिन निगमबोध घाट पर यमुना किनारे दर्जनों चिताएं जलती हैं जबकि सभी छै के छै सी एन जी प्लांट चालू हालत में होने पर भी खाली रहते हैं |
शव की राख तो दोनों में ही बनती है, लकड़ी की चिता में भी और सी एन जी में भी परन्तु सी एन जी में दाह करने से एक पेड़ बचता है, पर्यावरण बचता है, समय और धन बचता है और प्रदूषण से शहर बचता है | सी एन जी में मात्र एक घंटा बीस मिनट में ही शव दाह हो जाता है जबकि चिता में चार घंटे लगते हैं | साथ ही सी एन जी में मात्र एक हजार रूपये लगते हैं जबकि लकड़ी में कम से कम तीन हजार रुपये का खर्च है | यमुना का हाल बेहाल है ऐसा सभी कहते हैं परन्तु सब परम्परा के नाम पर चिता ही जलाते हैं |
‘नाला बन गए
यमुना तेरी देह में
बहता हुआ कूड़ा
पत्तल दोना आया,
हे कालिंदी तेरे
बेहाल हुए हाल पर
मन विचलित हुआ,
रोना आया |’
पूरन चन्द्र काण्डपाल
19.09.2017
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