Wednesday 6 September 2017

Chauthe stambh kee hatya : चसुते स्तंभ की हत्या

खरी खरी - 78 : प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ की हत्या

     5 सितंबर 2017 को जब देश में शिक्षक दिवस मनाया जा रहा था तब 55 वर्ष की एक वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की बंगलुरू में गोली मार कर हत्या कर दी गई । गौरी लंकेश साम्प्रदायिकता, अंधविश्वास, रुढ़िवाद और अराजकता के विरोध में लिखती थी । इस हत्या से सच को दबाने का कुटिल षड्यंत्र किया गया है । यह संविधान प्रदत स्वतंत्र विचार प्रकट करने के अधिकार की हत्या है । किसी से असहमत होने का अधिकार भी भी हमें संविधान प्रदत है । यह अत्यंत दुखद है कि अब तक 66 RTI कार्यकर्ता और 1992 के बाद 27 पत्रकार सच को सामने लाने के कारण मारे जा चुके हैं ।

      गौरी लंकेश की हत्या भी उसी तरह की गई जैसे 20 अगस्त 2013 को नरेंद्र दाभोलकर, 20 फरवरी 2015 को गोविंद पंसारे और 30 लगस्ट 2015 कि एम एम कालबुर्गी की हत्या की गई थी । ये तीनों भी अन्धविश्ववास और पौंगापंथी का विरोध करते थे, प्रेस की स्वतंत्रता और विचार प्रकट करने की आजादी की बात करते थे तथा असहिष्णुता और साम्प्रदायिकता का विरोध करते थे । कत्ल इसलिए हुआ कि सच सामने न आये ।हत्यारों को यह समझना पड़ेगा कि किसी की हत्या से उस विचार की मृत्यु नहीं होती जिसके लिए वह जिंदा रहा । सरकार को इन हत्यारों को न्याय के सम्मुख शीघ्र पेश करना चाहिए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
07.09.2017

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