Sunday 10 September 2017

Vivekanand ki yaad : विवेकानंद की याद

खरी खरी-81 : स्वामी विवेकानंद जी की याद

     आज ही के दिन 11 सितम्बर 1893 को स्वामी विवेकानंद जी ने विध्व धर्म संसद में व्याख्यान देते हुये शिकागो अमेरिका में कहा, "उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक रुको नहीं ।" लेखक गिरीश्वसर मिश्र जी के एक लेख के अनुसार देश-समाज को समर्पित स्वामी विवेकानंद ने राष्ट्र और मानव विकास पर ध्यान देकर स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया । 

       उन्होंने पुरोहितवाद, ब्राह्मणवाद और कर्मकांड का तीव्र खंडन किया और सभी प्राणियों में परमेश्वर की उपस्थिति स्वीकार की । उन्होंने कहा, 'सबल बनो, किसी से आशा न करो, शांत मन और धीरता के साथ आगे बढ़ो ।' लेखक के अनुसार 'आज धर्म के साथ पाखंड जुड़ गया है  । धर्म की दुकानदारी परवान चढ़ गई है । आज इक्कीसवीं सदी का दूसरा दशक बीतते बीतते भी गंडा-ताबीज, स्नान-,ध्यान, पूजा-पाठ, जप-तप, भूत-बभूत, टोने-टोटके यहां तक कि नर-बलि के लिए लोग आमादा हैं ।'

      अंधविश्वास के प्रखर विरोधी स्वामी जी आगे कहते हैं  'वीर की भांति आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि सफलता एक दिन में नहीं मिलती । उसके लिए धैर्य और लगातार प्रयास की जरूरत पड़ती है ।' लक्ष्य के लिए मनुष्य में तत्परता, संलग्नता और तन्मयता होनी चाहिए । कोई भी महान कार्य प्रेम, सत्य, निष्ठा और ऊर्जा से ही संभव है ।'

     आज के युवा भारतीय समाज को इसी तरह के आह्वान की आवश्यकता है । स्वामी जी के विचार आज भी ऊर्जा के स्रोत हैं । उन्हें सुनने और गुनने की जरूरत है । आज सत्य तो यह है कि हमारे नेता और नीतिनियन्ता विवेकानंद, अम्बेडकर, गांधी सहित कई महान हस्तियों की बात तो करते हैं परन्तु उनके बताए मार्ग पर नहीं चलते ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
11.09.2017

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