Friday 22 September 2017

Akhabaar mein devi devsta :अखबार में देवी-देवता

खरी खरी -90 :अखबार में देवी-देवता

     समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में हमारे आराध्य देवी-देवताओं के चित्र धड़ल्ले से छपते रहे हैं । आजकल नवरात्रों में नौ दिन तक देवी के विभिन्न रूपों के चित्र छपते रहेंगे । राम नवमी पर श्रीराम के और जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के चित्र भी छपते  आ रहे हैं । यह सब बंद होना चाहिए ।

     जब अखबार रद्दी में जाता है तो उसमें सभी वस्तुएं लपेटी जाती हैं । यहां तक कि जूते-चप्पल सहित कुछ भी लपेटा जाता है । मांस- मदिरा भी लपेटी जाती है । यह उन आराध्य चित्रों का घोर अपमान है । इसी तरह घर के मंदिर में पूजी गई पुरानी मूर्तियों -फोटो को भी लोग किसी पेड़ के नीचे पटक देते हैं जहां इन्हें पशु चाटते हैं । इस तरह की वस्तुओं को तोड़कर जमीन में भू-विसर्जित करना चाहिए । इन मुद्दों पर भी आवाज उठनी चाहिए ताकि ये चित्र समाचार पत्र-पत्रिकाओं में न छपें और मूर्तियां जहां-तहां न फेंकी जाएं । इस विषय पर पहले भी कई बार चर्चा होते रही है परन्तु परिणाम शून्य ही रहा । 

     श्रद्धा-आस्था के इन चित्रों का प्रिंट मीडिया में छप कर इस तरह अपमान होते देख हम चुप क्यों रहते हैं ? मूर्तियों का इस तरह अनादर हम क्यों करते हैं ?सबसे ज्यादा अनादर गणेश जी का होता जिन्हें शुभकार्यों में विभिन्न तरह से प्रयोग करके फैंक दिया जाता है । शायद हम इस प्रतीक्षा में हैं कि इस पर प्रतिबंध लगाने हेतु आंदोलन करने कोई और आएगा और हम लकीर के फकीर बने रहेंगे । ये हमारी कैसी श्रद्धा है ? मंथन तो करें ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.09.2017

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