खरी खरी - 85 : असंतों ने किया संतों को कलंकित
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कुछ फर्जी बाबाओं की सूची जारी की है । इलाहाबाद में 10 सितंबर 2017 को इस संबंध में अखाड़ा परिषद की बैठक हुई जिसमें धर्म के नाम पर फर्जी तरीके से लोगों को गुमराह करने वाले बाबा रुपी असंतों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई ।
परिषद ने 'संत' की उपाधि देने के लिए एक प्रक्रिया तय करने का फैसला किया है जिससे बालात्कारी पाखण्डियों को इसका गलत इस्तेमाल करने से रोका जाए तथा किसी व्यक्ति की पड़ताल करने और उसका आंकलन करने के बाद ही उसे 'संत' या 'बाबा' की उपाधि दी जाए ।
समाज सुधारक संतों के बीच यह भावना है कि धर्म से जुड़े कुछ व्यक्तियों के गलत कामों की वजह से पूरे समुदाय की छवि पर गलत प्रभाव पड़ रहा है । अखाड़ा परिषद अब उपाधि देने से पहल यह भी देखेगी कि जिस व्यक्ति को उपाधि दी जा रही है उसकी जीवनशैली किस तरह की है तथा संत के पास नकदी या संपत्ति कितनी है जो नहीं होनी चाहिए । जो लोग गलत तरीके से आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं उन्हें दंडित किया जाय ।
आज कबीर का साधु विलुप्त होते जा रहा है । हमारा समाज भी इसके लिए दोषी है जो अंधश्रद्धा में डूब कर इन्हें महान बनाने पर लगा है । महिलाओं से आशक्ति रखने वाले इन तथाकथित बाबाओं की करतूत की भनक लगने पर भी लोग चुप रहते हैं । वोट के खातिर हमारे नेता-राजनैतिक दल इन छद्म संतों के चरण चाटने लगते हैं । अखाड़ा परिषद को साधुवाद जो उसने 14 छद्म सन्तों की सूची सरकार के पास उचित कार्यवाही के लिए भेजी । उम्मीद है सच्चे संत समाज को परिष्कृत करते रहेंगे ।
साधु ऐसा चाहिये,
जैसा सूप सुहाय ।
क्षार क्षार को गहि रहे,
थोथा देय उड़ाय ।।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
16.09.2017
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