खरी खरी - 975 : निर्भया की स्मृति
16 दिसम्बर 2012 का वह दिन भूला नहीं जाता । इस दिन निर्भया/दामिनी के साथ जो वीभत्स कृत्य हुआ उससे पूरा देश हिल गया था । पूरे देश ने जो एकता दुखित परिवार के साथ दिखाई वह अविस्मरणीय है । वहशी मृत्यु दण्ड से सजा पा गए हैं । 20 मार्च 2020 को काल कोठरी से ही फांसी घर ले जाया गया उन्हें और लटका दिया फांसी पर । इस दौरान समाज या कुछ नरपिशाचों की मानसिकता नहीं बदली। सख्त क़ानून बना पर महिलाओं के प्रति अपराध चौगुने- पांच गुने हो गए । संघर्ष जारी रहे और नरपिशाचों को बख्शा न जाय । निर्भया के संघर्ष को नमन । उसके परिजनों को नमन जो से अंत तक न्याय के लिए लड़े ।
तीन बार फांसी टलने के बाद अंततः न्याय की जीत हुई । 7 साल 3 महीने 3 दिन के इंतजार के बाद 20 मार्च 2020 की सुबह 0530 बजे निर्भया के चारों दोषियों को दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई । उस दिन देश में निर्भया दिवस मनाया गया । फांसी के समय निर्भया के घर के बाहर काफी लोग पहुंचे थे । दिल्ली के तिहाड़ जेल के बाहर भी कई लोग इस न्याय को अंजाम पर जाते देखने - सुनने के लिए खड़े थे । उस दिन निर्भया की आत्मा को शांति मिली होगी । निर्भया के माता - पिता और जनता का संघर्ष इस सजा को अंजाम तक पहुंचाने में काम आया । निर्भया के माता -पिता ने अदालतों, वकीलों, सरकार, मीडिया, पत्रकारों और जनता का इस न्याय संघर्ष में साथ देने के लिए दिल से अश्रुपूर्ण आभार जताया । निर्भया कुछ ऐसे याद आती है -
इन्साफ की आवाज लगा गई वो
क़ानून को आईना दिखा गई वो
हमारे इर्द-गिर्द जो नरपिशाच हैं
उन्हें शूली पर लटकाना कह गई वो।
जग ने 'दामिनी' ' निर्भया ' 'कहा उसे
जंग का जज्बा सिखा गई जग को
करें प्रण तमाशबीन रहें न हम
यह सच्ची श्रधांजलि होगी उसको।
पूरन चन्द्र कांडपाल
17.12.2021
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