Wednesday 29 December 2021

Doha : दोहा

मीठी मीठी -  683  : कुमाउनी दोहे 


                             ( 8 दोहा, 8 बात )

कविता मन कि बात बतैं,


कसै उठी हो उमाव ।


बाट भुलियां कैं बाट बतैं,


ढिकाव जाई कैं निसाव ।।

द्वि आंखर हँसि बेर बलौ,


बरसौ अमृत धार ।


गुस्सम निकई कड़ू आंखर,


मन में लगूनी खार ।।

लालच जलंग पाखंड झुटि,


राग- द्वेष  अहंकार ।


अंधविश्वास अज्ञान भैम,


डुबै दिनी मजधार ।।

धरो याद इज बौज्यू कैं,


शिक्षक सिपाइ शहीद ।


दुखै घड़िम लै भुलिया झन


धरम करम उम्मीद ।।

याद धरण उ मनखी चैंछ,


मदद हमरि करी जैल ।


हमूल मदद जो कैकि करि,


उकैं भुलण चैं पैल ।।

देश प्रेम जति घटते जां,


कर्म संस्कृति क नाश ।


निहुन कभैं भल्याम वां,


सुख शांति हइ टटास ।।

तमाकु सुड़ति शराब नश,


गुट्क खनि धूम्रपान ।


चुसनी माठु माठु ल्वे वीक,


बैमौत ल्ही ल्हिनी ज्यान ।।

आपणि भाषा भौत भलि,


करि लियो ये दगाड़ प्यार ।


बिन आपणि भाषा बलाइए,


नि ऊंनि दिल कि बात भ्यार। 

पूरन चन्द्र काण्डपाल


30.12.2021


कविता संग्रह 'मुकस्यार'


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