खरी खरी - 984 : अपनी अपनी समझ
प्रसिद्ध अंग्रेज साहित्यकार विलियम शेक्सपीयर ने कहा है, ' क्या अच्छा है और क्या बुरा है यह किसी व्यक्ति के सोचने - समझने पर निर्भर करता है।' ठीक कहा लेखक ने । यदि जेबकतरा जेबतराशी को गलत समझता तो वह किसी की जेब नहीं काटता । जेब तो शरीफ व्यक्ति की ही कटती है। कुछ वर्ष पहले की दो घटनाएं हैं । समाचारों के अनुसार दोनों ही घटनाएं समाज का ध्यान खींचती हैं । पहली घटना में एक पारिवारिक कीर्तन में गायकों पर करीब डेड़ करोड़ रुपये के नोट बरसाए गए । नोट वर्षा की घटनाएं पहले भी देखी गई है । दूसरी घटना सूरत, गुजरात की है जहां एक व्यक्ति ने 236 गरीब जोड़ों को शादी के सूत्र में बांधने का खर्च उठाया और उन्हें जीने की राह दिखाई । दोनों ही जगह नोट खर्च हुए । एक ने कीर्तन में गायकों पर वर्षाए तो दूसरे ने पुण्य की पराकाष्ठा का स्पर्श किया । अपनी अपनी समझ का सवाल है । धन की शोभा उचित भोग से है, 'भोगो भूषयते धनम्' ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
28.12.2021
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