Tuesday 28 May 2019

Kargil yudfh : कारगिल युद्ध

खरी खरी - 435 :कारगिल युद्ध की याद

          कारगिल युद्ध ( 1999)  जिसमें हमारे पांच सौ से अधिक सैनिक शहीद हुए उस मुशर्रफ की देन थी जो इस युद्ध से पहले भारत आया था और ताजमहल के सामने अपनी बेगम के साथ बैठ कर फोटो खिचवा कर चला गया | देश के सभी तांत्रिकों ने उस पर मिलकर कोई तंत्र क्यों नहीं किया ? हमारी सीमा पर वर्ष 1989 से अब तक आये दिन उग्रवादी घुसपैठ करते आ रहे हैं | विगत 30 वर्षों में उग्रवाद के छद्म युद्ध में हमारे हजारों सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं |

     देश के सभी ज्योतिषी, ग्रह- साधक, तंत्र विद्या और काला जादू में स्वयं को माहिर बताने वाले इस पाक प्रायोजित छद्म युद्ध को क्यों नहीं रोकते और उग्रवादियों पर अपना प्रभाव क्यों नहीं दिखाते ? ये लोग थार के तप्त मरुस्थल में कभी एकाद बारिश ही करा देते | ये सब अंधविश्वास के पोषक हैं और अज्ञान के अन्धकार में डूबे लोगों को अपने शब्द जाल से लूटते हैं | दूसरे शब्दों में ये अंधभक्तों को उल्लू और उल्लुओं को अंधभक्त बनाते हैं |
(26 मई 1999 को कारगिल युद्ध की शुरुआत हुुई जो 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ ।)

कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के करीब 76 सैनिक शहीद हुए । ये विवाहित थे और कुंडली मिलाकर इनका विवाह हुआ था । 36 गुण मिले थे । फिर ये सैनिक पत्नियां विधवा क्यों हुई ? वैसे मैं शहीद सैनिक की पत्नी को सुहागन कहता हूं । शहीदी के कागज और पेंशन का पट्टा उसके सुहाग चिन्ह हैं । शहीद की पत्नी को कभी भी श्वेत वस्त्र नहीं पहने चाहिए । एक कदम आगे चलें तो कोई भी विधवा श्वेत वस्त्र न पहने, अपने पसंद के वस्त्र पहने क्योंकि विधुर तो श्वेत वस्त्र नहीं पहनता ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
29.05.2019

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