खरी खरी- 434: चक्षु पट्टे - मुखे महाव
हमने उत्तराखंड के राजनीतिज्ञों से हमेशा अपील करी कि कुछ सिद्धांतों को लेकर चलें । उत्तराखण्डी लोग तो सिद्धान्त, नैतिकता और ईमान के खातिर खेत छोड़ देते हैं, आगन- पटागण- खव- गुट्यार छोड़ देते हैं । सभी नेताओं से पुनः अपील है कि अपने- अपने हाई कमान से राजधानी गैरसैण की बात करो और राज्य की अस्थाई राजधानी को देहरादून के दड़बे निकाल कर उत्तराखंड के मध्य गैरसैण ले जाओ ।
आज कुमाऊँ केसरी बद्रीदत्त पांडे होते या वीर चंद्र सिंह गढवाली होते तो यह काम सन 2000 में ही हो गया होता । क्या कर रहे हैं हमारे 5+ 3 +70= 78 चुने हुए प्रतिनिधि ? आन्ध्र- तेलंगाना वालों से कुछ तो सीखो मित्रो । कुर्सी मोह में चक्षु पर पट्टा और मुंह पर महाव मत लगाओ । पहाड़ का ऋण चुकाओ और राजधानी गैरसैण बनाओ ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.05.2019
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