खरी खरी - 428 : गिच खोलणी चैनी
मसमसै बेर क्ये नि हुन
बेझिझक गिच खोलणी चैनी,
अटकि रौछ बाट में जो दव
हिम्मतल उकैं फोड़णी चैनी ।
अन्यार अन्यार कै बेर
उज्याव नि हुन,
अन्यार में एक मस्याव
जगूणी चैनी ।
मसमसै..
क्ये दुखै कि बात जरूर हुनलि
जो डड़ाडड़ पड़ि रै,
रुणी कैं एक आऊं
कुतकुतैलि लगूणी चैनी ।
मसमसै बेर...
पूरन चन्द्र काण्डपाल
14.05.2019
No comments:
Post a Comment