खरी खरी- 431 : गंगा पुछैं रै सवाल ?
मिहुणि गंगा मैया
लै कूं रौछा,
सबूं हैं गंगा गंदी
हैगे लै कूं रौछा,
गंद नालों कैं
म्ये में बगों रौछा,
मुर्द म्यार किनार
पर भडूँ रौछा,
मरी जानवर म्ये
में लफाऊँ रौछा,
धोबीघाट म्यार
किनार खोलें रौछा,
विसर्जन क नाम पर
म्ये में कुड़-कभाड़
लफाउं रौछा,
पै दिखाव कि बात केक
लिजी करैं रौछा ?
पूरन चन्द्र काण्डपाल
19.05.2019
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