Wednesday 22 May 2019

Aapni bhasha : आपणि भाषा

मीठी मीठी -280 : याँ सब आपणि भाषा में बलानी

     अच्याल कुछ दिनां लिजी केरल राज्यक इडडूकि ज़िल्ल में नना दगै जै रयूं । भौत भलि जागि छ और उत्तर भारत है मौसम लै कुछ कम गरम छ याँ । याँ हमूकैं सिर्फ भाषा सम्बन्धी तकलीफ हैछ । याँ सब लोग आपणि भाषा मलयालम में बलानी । मलयालम है अलावा क्वे दुसरि भाषा याँ क्वे निसमझन । दुकानदार लोग टुटिफुटी अंग्रेजी में बलानी । अधिकांश साइनबोर्ड लै मलयालम छीं । यांक लोगों कैं देखि मिकैं आपण लोगोंकि भौत याद ऐछ जो जानकारी होते हुए लै आपणि भाषा में नि बलान । अल्माड़ में जै दगै लै आपणि भाषा कुमाउनी में बात करी  वील हिंदी में जबाब दे जबकि उ कुमाउनी भाषाक जानकार छी । दिल्ली में लै कुछ लोगों कैं छोड़ि बेर सबै आपणि भाषा में बात नि करन । यूं लोगों कैं आपणि भाषा बलाण में शरम लागीं ।

       म्यर सबै लोगों हुणि निवेदन छ कि हमूल आपणि भाषा में बलाण चैंछ । क्वे दुसरि भाषा दगै बैर न्हैति ।  हमर यतुक्वे कूण छ कि तुम दुनियकि क्वे लै भाषा सिखो पर आपणि भाषा नि भुलो । अगर हम आपणि भाषा भुलि गया तो फिर हमरि उत्तराखंडी हुणकि पछ्याण मिट जालि । अगर हमरि भाषा व्यवहार में नि रौली तो एक दिन य लै लुप्त है जालि । जब भाषा लुप्त हिंछ तो सभ्यता, संस्कृति और पछ्याण लै लुप्त है जींछ ।

     इडडूकि ज़िल्लक एक गौं 'राजक्कड' में एक परिवार दगै लै मिलूं पर यूं म्ये दगै बात नि कर सक । इनरि कक्षा सात में पढ़णी च्येलि म्ये दगै द्वि आंखर अंग्रेजी में जरूर बलै । उम्मीद छ हमार लोग जरूर आपणि भाषा में बलाल । हमरि भाषा में लेखी किताब म्यर पास मौजूद छीं । हमरि भाषाक किताबोंकि, लेखक, कवि और साहित्यकि कमी न्हैति । बस एक बात मंथन करणकि जरवत छ कि हमूकैं आपणि 1100 वर्ष पुराणि भाषा बलाण में शरम किलै लागीं ?

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.05.2019
राजक्कड, केरल राज्य

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