Monday 29 April 2019

SAboon alag alag dyaapt : सबूं क अलग अलग द्याप्त

खरी खरी - 420 : सबूं क अलग अलग दयाप्त

गौंनू में मंदिरों कि कमी न्हैति


फिर लै मंदिर बनूं रईं,


हर साल वां जै बेर


घंटी - बाकर चढूं रईं ।

वां सबूं के अलग- अलग


नईं -पुराण दयाप्त देखीं रईं,


क्वे कैहूं क्ये नि कान


एक-दुसरै नकल करैं रईं ।

घंटी कि जाग कैं इस्कूल हुणि


एक बाल्टी लै ऐ सकछी,


बोरिया चेथाड़ में भैटी नना हूँ


एक चटाई लै ऐ सकछी ।

गरीब नना हैं स्टेसनरी


बस्त वर्दी बनैन लै ऐ सकछी,


इस्कूलाक पुस्तकालय हूँ


थ्वाड़ भौत किताब लै ऐ सकछी ।


पूरन चन्द्र काण्डपाल

30.04.2019


No comments:

Post a Comment