Tuesday 2 April 2019

Autism day : आटिज्म जागृति दिवस

खरी - 407 :  विश्व ऑटिज़्म जागृति दिवस,  2 अप्रैल -ऑटिज्म वाले बच्चों को समझें

    ऑटिज़्म (स्वलीनता) एक मानसिक रोग है जिसके लक्षण जन्म से ही या बाल्यावस्था से नज़र आने लगतें हैं । जिन बच्चों में यह रोग होता है उनका विकास अन्य बच्चों की अपेक्षा असामान्य होता है । प्रति वर्ष 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागृति दिवस वर्ष 2008 से मनाया जाता ताकि लोग आटिज्म के रोगियों को समझ सकें ।

       ऑटिज़्म होने के कोई एक कारण नहीं खोजा जा सका है। अनुशोधों के अनुसार ऑटिज़्म होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे- मस्तिष्क की गतिविधियों में असामान्यता होना, मस्तिष्क के रसायनों में असामान्यता, जन्म से पहले बच्चे का विकास सही रूप से न हो पाना आदि।

        ऐसे बच्चे सामाजिक गतिविधियों के प्रति उदासीन होते है । वे लोगों की ओर न तो देखते हैं, न मुस्कुराते हैं और ज्यादातर अपना नाम पुकारे जाने पर भी सामान्यत: कोई प्रतिक्रिया नहीं करते हैं। ऑटिस्टिक शिशुओं का व्यवहार तो और चौंकाने वाला होता है,  वो आँख नहीं मिलाते हैं और अपनी बात कहने के लिये वो अक्सर दूसरे व्यक्ति का हाथ छूते और हिलाते हैं । तीन से पाँच साल के बच्चे आमतौर पर सामाजिक समझ नहीं प्रदर्शित करते है,  बुलाने पर एकदम से प्रतिकिया नहीं देते, भावनाओं के प्रति असंवेदनशील होते हैं । आम धारणा के विपरीत, आटिस्टिक बच्चे अकेले रहना पसंद नहीं करते । दोस्त बनाना और दोस्ती बनाए रखना आटिस्टिक बच्चे के लिये अक्सर मुश्किल साबित होता है।

    हमारे देश में यह रोग प्रति 500 बच्चों में 1 को है । लगभग 21,60,000 बच्चे इस रोग से ग्रसित हैं । रोग का लगातार उपचार चाहिए परन्तु रोग समाप्त नहीं होता । हमें इस रोग से ग्रसित बच्चों और उनके परिजनों के प्रति संवेदना एवं सहानुभूति जतानी चाहिए तथा उनके लिए 'पागल' जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
03 अप्रैल 2019

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