मीठी मीठी - 260 भारत रत्न डा. बी आर अम्बेडकर का स्मरण
(बैशाखी पर्व की शुभकामनाओं सहित)
मेरी पुस्तक ‘महामनखी’ में 8 नोबेल पुरस्कृत, 21 परमवीर चक्र, 66 अशोक चक्र विजेताओं के साथ 45 भारत रत्नों की भी लघु चर्चा है | भारत रत्न क्रम 22 में बाबा साहेब के बारे में निम्न शब्द उद्धृत हैं –
डा. भीमराव रामजी अम्बेडकर (बाबा साहेब) का जन्म महू, मध्य प्रदेश में 14 अप्रैल 1891 को एक दलित परिवार में हुआ | उनकी पिता का नाम रामजी मालोजी और माता का नाम भीमाबाई था | वे अपने माता- पिता की चौदहवीं एवं सबसे छोटी संतान थे | 16 वर्ष की उम्र में रमाबाई से उनका विवाह हुआ | उनकी शिक्षा मुंबई विश्वविद्यालय, कोलंबिया विश्वविद्यालय, लन्दन विश्वविद्यालय और लन्दन स्कूल आफ इकोनोमिक्स में हुयी |
बाबा साहेब एक अच्छे प्रवक्ता, अर्थशास्त्री, वकील, समाज सुधारक और राजनीतिज्ञ थे | उन्होंने दलितों. महिलाओं एवं मजदूरों के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव का जमकर विरोध किया | उन्होंने छुआछूत और अन्धविश्वास के विरोध में भी आवाज उठायी | वे नेहरू कैबीनेट में देश के प्रथम क़ानून मंत्री थे | वे संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष भी थे | उन्होंने 1948 में डा. शारदा कबीर से दूसरी शादी की | 14 अक्टूबर 1956 को उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया | 6 दिसंबर 1956 को 65 वर्ष की उम्र में उनका देहावसान हो गया | वर्ष 1990 में उन्हें मरणोपरांत देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ प्रदान किया गया |
आज डा. अम्बेडकर जी के नाम पर अनचाही राजनीति हो रही है । उन्हें वोट बैंक के बतौर प्रयोग किया जा रहा है । कहीं पर उनकी प्रतिमा खंडित हो रही है तो कहीं उस पर मनचाहा रंग चढ़ाया जा रहा है । उच्च पदों पर विराजमान सभी नेताओं को बाबा साहेब की भावना के अनुसार देश के सौहार्द को मजबूती से बनाये रखने के प्रयत्न करने चाहिए तथा इस सौहार्द को जख्म देने वालों को दंडित किया जाना चाहिए । सभी से निवेदन है कि नफरत की आग से भारतमाता को मत झुलसाइये । इस बीच हमने आंदोलनों में जो अराजकता देखी उससे देश को अपूरणीय क्षति हुई । नफरत पनपाने से देश का भला नहीं होगा । हमारी इन्द्रधनुषी संस्कृति और सौहार्द के रंगों को बदरंग करने वालों से हमें सावधान रहना पड़ेगा । बाबासाहेब को विनम्र श्रद्धांजलि के साथ सभी को बैशाखी पर्व की शुभकामनाएं ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
14.04.2019
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