Wednesday 24 April 2019

Betaalghaat-Ramnagar : बेतालघट - रामनगर

बिरखांत - 261: उत्तराखंड में यात्री बसों की दशा -बेतालघाट से रामनगर का दृश्य

       बेतालघाट विकास समिति के संयोजक श्री सुरेन्द्र सिंह हालसी जी के निमंत्रण पर तीन दिन ( 19, 20 और 21 अप्रैल 2019 ) के बेतालघाट महोत्सव में सम्मिलित होने का अवसर मिला । कुमाउनी कवि- सम्मेलन की समाप्ति पर मैं 20 अप्रैल 2019 को दिन के ढाई बजे बेतालघाट से के एम ओ यू की बस में बैठकर रामनगर के लिए चल पड़ा ।  बेतालघाट से बस ठीक समय पर चली । कुछ दूर पहुंचते ही इस 28 सीटर बस में भीड़ होने लगी । बस के अंदर यात्री खड़े थे फिर भी भीड़ आते जा रही थी ।

       बस का कंडक्टर बिना टिकट दिए किराया ले रहा था । आधे घंटे के बाद बस में तिल रखने को जगह नहीं थी । कुछ लोग छत में भी बैठे थे । इतने में कंडक्टर ने एक महिला को अगले मोड़ पर बस में प्रवेश दिलाया जिसके पास गैस के भरे हुए 14.2 kg वाले दो सिलिंडर थे । ज्योंही सिलिंडर अंदर रखे मैंने चालक से बस रोकने के लिए कहा । मैंने उसे समझाया कि यह गलत कार्य मत करो, यदि सिलिंडर लीक हो गए तो कोई नहीं बचेगा । सिलिंडर की मालकिन रोने लगी कि मैं सुबह से बस के इंतजार में थी । आप इन्हें मत रोकिए । ये लोग तो हमेशा ही बस में सिलिंडर ले जाते हैं । खचाखच भरी बस में मेरा साथ किसी ने नहीं दिया । अंत में दोनों सिलिंडर को मेरी विनती पर बस की छत में बांध कर रखा गया जिन्हें इनकी मालकिन के साथ गंतव्य गांव के पास उतार दिया गया ।  बस 57 किलोमीटर की दूरी साढ़े तीन घंटे में तय कर  सायं 6 बजे रामनगर बस स्टेसन पर पहुंच गई  । रामनगर में चालक -परिचालक मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे मैं एक जघन्य अपराधी हूँ ।

        इस बस पर ये शब्द लिखे थे :- 'जय ग्वेल देवता नमः, जय ईष्ट देवता, जय गर्जिया माता, भाग्य लक्ष्मी ।' जब हम इस तरह 28 सीटर बस में इन पहाड़ी सर्पीली सड़कों पर 50 लोगों को बैठाएंगे तो दुर्घटना तो होगी । ऐसे में जिन देवताओं के नाम बस में लिखे थे लोग उन्हें भी नहीं बख्शते । भगवान क्या करेंगे जब हम खुद जानबूझ कर गलतियां कर रहे हैं । उत्तराखंड में जीप, टैक्सी, बस आदि में दुर्घटना का यही मुख्य कारण है । ओवर लोडिंग करो, खूब कमाओ फिर शराब पिओ और निर्दोषों को बेमौत मारो ।

     राज्य सरकार सब जानती है, देखती है परन्तु जान कर भी अनजान बनी रहती है । कोई पूछने वाला नहीं । पिछले नवम्बर में अल्मोड़ा से हल्द्वानी आने का जीप वालों ने डबल किराया लिया और ओवर लोडिंग भी करी । तब भी मैंने उस मुद्दे को उठाया था जो कूर्मांचल अखबार में छपा भी था । लोग उत्तराखंड आते हैं लेकिन परिवहन व्यवस्था के शोषण का शिकार बनते हैं । ऐसे में राज्य के पर्यटन संचालन के सुप्त तंत्र को लोग दुःखित होकर कोसते हुए चले जाते हैं । क्या कहें, किससे कहें ?  जय देवभूमि, जय शहीद भूमि, जय वीरभूमि, जय उत्तराखंड, जय भारत । जयहिन्द ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.04.2019

No comments:

Post a Comment