Thursday 11 April 2019

Baaj teerandaaj : बाज और तीरंदाज

खरी खरी - 412 : बाज और तीरंदाज

    देश के लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं पर दुराचार घटने का नाम नहीं ले रहे । दुराचारी क़ानून से बेखौप हैं । सम्पूर्ण मीडिया हर रोज महिला अपमान, दुष्कर्म, पड़ताड़ाना, चेन स्नैचिंग, छेड़छाड़ और महिला हत्या के समाचारों से भरा रहता है । राज्यों में किसी भी दल की सरकार हो, महिला सुरक्षा सब जगह खतरे में है । ऐसा क्यों हो रहा है ?  कैसे और कब थमेगा यह सामाजिक कलंक ? बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा तो लगा, ढिंढोरा भी पिटा परन्तु दुष्कर्म और हत्या जैसे जघन्य महिला अपराध बढ़ते गए ।

      वर्ष 2012 के घृणित निर्भया कांड के दोषियों को अभी तक सजा नहीं मिली है । उन्नाव और कठुआ सहित देश की कई अन्य भागों में जघन्य महिला अपराध से देश एक व्यथित है । राजनैतिक संरक्षण से असामाजिक तत्व गुलजार हैं । इस दौर से डरी - सहमी महिला की व्यथा-वेदना और सिसकियों से हमारी संवेदना पिघलती क्यों नहीं ? कई बार यह चर्चा में आ चुका है कि हमारा देश महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है । महिलाओं की इस व्यथा से सभ्य समाज तब अधिक व्यथित होता है जब महिलाएं पूछतीं हैं -

'चीं चीं करती चिड़िया पूछे
कहां जाऊं मैं आज ?
ऊपर पसरा बाज का पंजा
नीचे घूरे तीरंदाज ।'

पूरन चन्द्र काण्डपाल
12.04.2019

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