Sunday 17 January 2021

Ram Chandra ka poora Sach : का पूरा सच

खरी खरी - 775  :  'राम चन्द्र' का 'पूरा सच' के साथ हिम्मत को सलाम (एक नहीं भूलने वाली घटना )

      पाखंडी बाबा के वेश में अध्यात्म का आडम्बर ओड़े , पाखंडी प्रवचन से गुमराह करने वाला जो बलात्कारी अब 20 वर्ष की जेल में अपने कुकृत्यों के फल भोग रहा है उसका यह कुकृत्य दबा ही रह जाता यदि एक साहसी पत्रकार राम चन्द्र छत्रपति 2002 में अपने सांध्यकालीन सिरसा से छपने वाले हिंदी अखबार 'पूरा सच' में उस गुमनाम पत्र को नहीं छापता जो एक यौन शोषित साध्वी ने लिखा था । इस गुमनाम पत्र ने डेरा सच्चा सौदा की गुफा में हुए कुकृत्य, बलात्कार और कई साध्वियों के यौन शोषण को उजागर किया था । ज्योंही पत्र अखबार में छपा पत्रकार राम चंद्र छत्रपति को धमकियां मिलने लगी और 24 अक्टूबर 2002 को उन्हें दो हत्यारों ने उनके घर के आंगन में गोली मार दी जिससे 21 नवम्बर 2002 को उनकी अस्पताल में मृत्यु हो गई ।

     इस गुमनाम पत्र के आधार पर पंजाब- हरयाणा उच्च न्यायालय ने सेसन जज सिरसा से इस संबंध में रिपोट मांगी और रिपोट मिलते ही 24.09.2009 को इस केस की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए । यह केस पूरे पन्द्रह वर्ष चला । यह मामूली लड़ाई नहीं थी । यह एक दीये की तूफान से लड़ाई थी जिसे दिवंगत पत्रकार के पुत्र अंसुल छत्रपति और दो गुमनाम साध्वियों ने जान की परवाह नहीं करते हुए अंत तक लड़ा जबकि देश का पूरा राजनैतिक तंत्र और सिस्टम अपने वोट बैंक के खातिर एक पाखंडी की वंदना करता रहा ।

     जब तीन साल पहले उस पाखंडी को सजा मिली तो पूरे देश ने राहत महसूस की है । आज पूरा देश उन दो गुमनाम साध्वियों, साहसी दिवंगत पत्रकार राम चन्द्र छत्रपति, उच्च न्यायालय के जस्टिस गोयल, सीबीआई के पुलिस सुपरिंटेंडेंट सतीश डांगर, अंसुल छत्रपति के साथ ही पाखंडी को सजा देने वाले जस्टिस जगदीप सिंह की हिम्मत, श्रम और निष्पक्षता को सलाम करता है, प्रणाम करता है और नमन करता है । अपनी जान की परवाह नहीं करने वाले दिवंगत पत्रकार राम चन्द्र छत्रपति को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए हम उनकी हिम्मत को भी प्रणाम करते हैं ।

     देर- सबेर न्याय की एक औऱ जीत हुई जब मुख्य अपराधी बाबा सहित तीन अन्य को पत्रकार हत्या केस में आजीवन कारावास की सजा मिली । एक ओर जहां भीड़ तंत्र ने हमारे सिस्टम और राजनीति को बौना बनाया वहीं हमारे न्याय तंत्र ने एक पाखंडी को सलाखों के पीछे पहुंचाया । एक दुष्कर्मी और हत्यारे की करतूत को न्याय तक पहुंचाने वाले इन सभी साहसी वीरों, न्याय और ईमानदारी के पहरुओं को एक बार पुनः नमन । देश के कई राज्यों में आज भी महिला अपराध का नाग फन फैलाए हुए है जिसे कुचलने में हमारे तंत्र को अधिक चुस्ती दिखाने की जरूरत है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
18.01.2021

No comments:

Post a Comment