Wednesday, 6 January 2021

Kis baat ka garv hae : किस बात का गर्व है ?

खरी खरी - 769 : किस बात का गर्व ?

    कुछ लोग कहते हैं हमें उत्तराखंडी होने का गर्व है । ठीक है गर्व होना चाहिए परन्तु हम पहले भारतीय हैं बाद में उत्तराखंडी । हमें भारतीय होने का गर्व है और उत्तराखंडी होने का भी गर्व है ।  यदि हम गर्वित हैं तो हमें देवभूमि की आन-बान- शान को बनाये/बचाये रखने के लिए गंभीरता से सोचना होगा और अपनी कथनी -करनी में अंतर नहीं करना होगा अन्यथा हमें किस बात का गर्व ? 

हर रोज शराब में डूबे रहने का ?
धूम्रपान- चरस -सुल्पा- भांग पीने का ?
गुटखा- खैनी - तम्बाकू - जर्दा खाने का ?
जागर लगाकर डराने -भ्रमित करने का ?
जागर में डंगरियों को शराब पिलाने का ?
भगवान के नाम पर पशु बलि देने का ?
शहीदों और शहीद परिवारों को भूलने का?
अंधविश्वास को पोषित करने का ?
गलत बी पी एल कार्ड बनाने का ?
बिना कुछ घूस लिए काम नहीं करने का ?
झूठे प्रमाण पत्र से पैंसन लेने का ?
सैणियों पर जबरजस्ती मसाण लगाने का ?
राज्य में आये पर्यटकों को ठगने का ?
रसोई बनाने या मुर्दा फूंकने में शराब मांगने का ?
जनहित -आंदोलनों में घर में घुसे रहने का ?
जुगाड़बाजी और चमचागिरी से कुछ प्राप्त करने का ?

        इस खरी खरी का एकमात्र उद्देश्य समाज से अपने अंदर अवलोकन करने का निवेदन है । बाहर की तू माटी फांके, मन के अंदर कभी न झांके । कभी कभी फुर्सत से अपने मन के अंदर झांकिए । कहीं हम पर इनमें से किसी अपसंस्कृति की कालिख तो नहीं लग रही है ? यदि जन -संघर्ष होता मुजफ्फरनगर कांड के भेड़ियों को सजा मिल गई होती । फिर भी जो लोग इन अपसंस्कृतियों से दूर हैं और इनके विरोध में बेझिझक गिच ( मुंह) खोलते हैं उन्हें प्रणाम/नमन/जयहिन्द परन्तु जमीनी सच तो कहना ही होगा । उत्तराखंड जो देवभूमि है, शहीद भूमि है और वीर भूमि है उसे हमने अपनी गलत हरकतों से व्यथित नहीं करना चाहिए, उसकी शान को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए उसे अपमानित नहीं करना चाहिए ।  इन सभी अपसंस्कृतियों के विरोध में बेझिझक अपना गिच (मुंह) खोलने की हमारी हिम्मत पता नहीं किस गाड़ -गधेरे में बग (बह) गई ?

पूरन चन्द्र काण्डपाल
07.01.2021

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