मीठी मीठी - 521 : 'कुमाउनी भाषाक व्याकरण '
(आजकि ( 10102020 ) मीठी मीठी -521 में हल्द्वानी निवासी कुमाउनी भाषाक रचनाकार श्री गोविन्द बल्लभ बहुगुणा ज्यू कि शब्दशः समीक्षा छ जो बहुगुणा ज्यूल मेरि किताब ' कुमाउनी भाषाक व्याकरण ' पर लेखी छ । समीक्षा साभार उद्धृत छ । )
कुमाउनी साहित्यकिअमूल्य धरोहर"कुमाउनी भाषाक् व्याकरण" किताब ।
कोई लै भाषाक् ल्यखण, पढ़न और बुलाणक लिजी नियम तय हुनी ताकि भाषाकि शुद्धता और सुंदरता बणी रओ । व्याकरणक दसरनाम'शब्दानुशासन' लै कई जां । कोई लै भाषा वीक व्याकरण कें लिबेर फलें-फुलें । कुमाउनी भाषाक् बा्र में अक्सर यो सुणन्हों मिलछी कि यो भाषा नै एक बोलि छू । यैक कोई व्याकरण न्हेंती । यैकि कोई लिपि नैंती वगैरा-वगैरा ।
हमार वरिष्ठ कवि, लेखक और विचारक पूरन चंद्र काण्डपाल ज्यू कें हिंदी है लै पुराणि भाषा कुमाउनीक लिजी यो बात दिल में चुभछी । उनूल योई बातों खंडन कुमाउनी भाषा में लगभग सबै विधाओं में १३ किताब लेखिबेर और आब एक यो व्याकरणकि किताब लेखिबेर यो सावित कर दे कि कुमाउनी बोली नै एक समृद्ध भाषा बणि गे । संदर्भित व्याकरणकि किताब लेखन में उनुकैं करीब द्वि सालकि कड़ी मेहनत करन पड़ी तब जै बेर किताब प्रकाशित हैबेर कुमाउनी साहित्य सागर में शामिल है सकी । यो खास उपलब्धिक लिजी काण्डपाल ज्यू कें बधाइ ।
ऐल जबकि नई शिक्षा नीति ऐगे और दर्जा पांच तककि पढा़इ मातृभाषा में हुणी वालि छू पाठ्यक्रमक लिजी यो किताब
उपयुक्त लागें । काण्डपाल ज्यूकि कुमाउनी में छपी हौर किताब लै बालोपयोगी छन प्रदेशक शिक्षा विभाग कें ये बातक संज्ञान लिण चें ।
गोविंद बल्लभ बहुगुणा
कुमाउनी रचनाकार
बहुगुणा ज्यूूक हार्दिक आभार ।
पूरन चन्द्र कांडपाल
10102020
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