खरी खरी - 709 : कभैं आपूहैं पुछो !!
भाग्य क भरौस पर
तमगा नि मिलन
पुज-पाठ भजन हवन ल
मैदान नि जितिन ।
पसिण बगूण पड़ूं
जुगत लगूण पणी,
कभतै हिटि माठु माठ
कभतै दौड़ लगूण पणी ।
हाम यौस करण चैं कै दिनू
करि बेर नि देखून,
भाषण एक दुसरै कैं दिनूं
चलि बेर नि देखून ।
औरों हैं पुछण है पैली
आपूं हैं पुछो,
आफी सवाल करो
आफी जबाब ढूंढो ।
नै हमूल नशेणियां कैं टमकाय
नै शराबियों कैं रोक,
नै कभैं गुट्क तमाकु खै बेर
थुकणियां कैं टोक ।
मैंसूं देखादेखि हाम शिवजी कैं
भांग - धतुर चढ़ाते रयूं,
अंधविश्वास क नागौर
सबूं दगै बजाते रयूं ।
दुनिय विसर्जना क नाम पर
कुड़कभाड़ नदियों में बहाते जांरै,
मूर्ति फोटो कलेंडर पुज
हवन क शेष,
सब नदियों में घुसाते जांरै ।
नदी गंद नाव बनि गईं
पाणी गजवैन हैगो काव,
गंदगी फैलूणी कारखणा पर
आजि लै नि लाग ताव ।
गिच खोलो भू- विसर्जन कि
बात दुनिय कैं समझौ,
नदियों क हाल नि बिगाड़ो
विसर्जन वाइ चीज माट में दबौ ।
पढ़ीलेखी हाय
पढ़ी लेखियां जौस
काम नि करें राय ,
गिचम दै क्यलै जमैं थौ
आपू हैं नि पूछैं राय ।
मरि-झुकुड़ि बेर कुण नि बैठो
ज्यौना चार कभैं त जुझो,
क्यलै मरि मेरि तड़फ
क्यलै है रयूं चुप,
कभैं आपूहैं पुछो ?
पूरन चन्द्र काण्डपाल
09.10.2020
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