Tuesday 20 October 2020

Gich kholani chaini : गिच खोलानी चैनी

खरी खरी - 717  :  गिच खोलणी चैनी

मसमसै बेर क्ये नि हुन


बेझिझक गिच खोलणी चैनी,


अटकि रौछ बाट में जो दव


हिम्मतल उकैं फोड़णी चैनी ।

अन्यार अन्यार कै बेर


उज्याव नि हुन,


अन्यार में  एक मस्याव


जगूणी चैनी । 


मसमसै..

जात  - धरम पर जो


लडूं रईं हमुकैं,


यास हैवानों कैं भुड़ जास


चुटणी चैनी ।


मसमसै ...

गिरगिट जस रंग


जो बदलैं रईं जां तां,


उनुकैं बीच बाट में


घसोड़णी  चैनी ।


मसमसै...

क्ये दुखै कि बात जरूर हुनलि


जो डड़ाडड़ पड़ि रै,


रुणी कैं एक आऊं 


कुतकुतैलि लगूणी चैनी ।


मसमसै बेर...

पूरन चन्द्र काण्डपाल


21.10.2020

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