Sunday 18 October 2020

Baal prahari kavi sammelan : बाल प्रहरी कवि सम्मेलन

मीठी मीठी - 524 : बाल प्रहरी और बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन

    17 अक्टूबर 2020 को बाल प्रहरी और बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा राष्ट्रीय ऑन लाइन बाल कवि सम्मेलन आयोजित किया गया ।  इस संबंध में एक समाचार रिपोर्ट आज की मीठी मीठी में साभार उद्धृत है ।

 "बच्चों को मातृभाषा से जोड़ा जाना जरूरी है।


                  - पूरन चंद्र कांडपाल

अल्मोड़ा, 18 अक्टूबर। बच्चों को अपनी संस्कृति तथा भाषा से जोड़ा जाना जरूरी है। ये बात बालप्रहरी तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा आयोजित ऑन लाइन बाल कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली से वरिष्ठ साहित्यकार पूरन चंद्र कांडपाल ने कही । उन्होंने कहा कि आज अधिकतर अभिभावक नौकरी की दृष्टि से अपने बच्चों को अंगरेजी तथा दूसरी भाषा सीखने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नौकरी व ज्ञान के लिए अंगेजी तथा दूसरी विदेशी भाषाएं सीखनी चाहिए तथा सिखाई जानी चाहिए। परंतु अपनी दुधबोली मातृभाषा  से भी हमको बच्चों को जोड़ना चाहिए। 

    मुख्य अतिथि बाबा कानपुरी (नौएडा) ने कहा कि शहरीकरण तथा इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के वर्तमान दौर में अब बच्चों को दादा-दादी तथा नाना-नानी की कहानियां  सुनने का नहीं मिलती हैं । बच्चे प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं। अब बच्चे मिट्टी, पानी व पत्थर से खेलने के बजाय मोबाइल तथा कंप्यूटर से खेल रहे हैं। ये सुखद है परंतु बच्चों को अपने परिवेश व प्रकृति से जोड़ा जाना भी जरूरी है। 




     मुख्य अतिथि बाबा कानपुरी ने अपनी बाल कविता पढ़ते हुए कहा, ‘‘ बारिश के पानी में छप-छप, कर लेती है कपड़े गीले/खाती टपकाती कपड़ों पर चूस-चूसकर आम रसीले।’’ 


      दुर्ग(छत्तीसगढ) से बलदाऊ राम साहू  ने अपनी कविता पढ़ते हुए कहा, ‘‘ जाति धर्म की तोड़ दीवारें, बच्चो मिलकर गाओ/देश हमारा छुए शिखर को,ऐसा कुछ कर जाओ।’’


      जबलपुर( म.प्र.) की डॉ. सलमा जमाल ने अपनी कविता कुछ इस प्रकार पढ़ी, ‘‘मेरी प्यारी गुड़ियारानी, हरदम करती है मनमानी/कौन सुनाता तुम्हें कहानी, तुम्हें याद करती है नानी।’’


    सेवानिवृत्त शिक्षक खुशालसिंह खनी ने स्कूल की घंटी पर अपनी कविता सुनाते हुए कहा,‘‘स्कूल की घंटी बजी टन-टन-टन/दौड़ आए बच्चे दन-दन-दन।’’ 


      कानपुर के संजीव द्विवेदी ने अपनी कविता सुनाते हुए कहा,‘‘स्कूल तुम्हें भेजा है मां ने,स्कूल नहीं ये मंदिर है/बच्चो मेरे खूब तुम पढ़ना, यहीं तुम्हारी मंजिल है।’’ 

     नरसिंहनपुर (म.प्र.) के नरेंद्र श्रीवास्तव ने अपनी कविता पढ़ते हुए कहा,‘‘करो प्रतिज्ञा बच्चो तुम भी,काम देश के आओ/वीर साहसी त्यागी बनकर, जग में नाम कमाओ।’’ इसके अतिरिक्त डॉ. रितु गुप्ता (जम्मू), डॉ. अमित कुमार (पीलीभीत), डॉ. वर्षा महेश ’गरिमा’ (मुंबई),रूपा राय ‘मौली’(लखनऊ), ओमषरण आर्य ‘चंचल’(रामनगर), डॉ. खेमकरन सोमन (चौखुटिया) आदि ने अपनी बाल कविताएं पढ़ी। 

     इस अवसर पर सर्वश्री ओम क्षिप्रा, मुन्नू लाल, रूबी शर्मा, संतोष कुमार, सुधा भार्गव, वीरेंद्र लोढ़ा, राजू गुप्ता सहित दीपांशु पांडे , सृष्टि बिष्ट आदि कई बच्चों ने भी सहभागिता की। ऑनलाइन कवि सम्मेलन का संचालन संदर्भ समीक्षा समिति भीलवाड़ा (राजस्थान) की रेखा लोढ़ा ‘स्मित’ ने किया। कार्यक्रम के प्रांरभ में बालप्रहरी संपादक तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा के सचिव उदय किरौला ने सभी अतिथियों एवं कवि/कवयित्रियों का परिचय कराते हुए सभी का स्वागत किया।"

       यह एक सफल आयोजन था । वर्तमान में कोरोना संक्रमण के दौर में जहां साहित्यिक गतिविधियां रुक गई हैं वहीं इस तरह के वर्चुअल आयोजन से साहित्य की सृजनता बनी रहती है ।

पूरन चन्द्र कांडपाल


19.10.2020


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