Thursday 15 October 2020

Rona naheen : रोना नहीं

खरी खरी - 713 : रोना नहीं 

(कोरोना से लड़ने वालों को समर्पित )


 


रोने से कभी 


कुछ नहीं मिलता,


रह नहीं  गए अब 


आंसू  पोछने वाले ।


.


दूर क्यों जाते हो


खोजने -ढूढने उन्हें,


तुम्हारे सामने ही हैं 


पीठ पीछे बोलने वाले।

भरोसा मत करो


दिल अजीज कह कर,


शरीफ से लगते हैं


छूरा घोपने वाले।


 


संभाल अपने को 


मतलब परस्तों से,


देर नहीं लगायेंगे 


भेद खोलने वाले।


 


साथ देने की कसम पर


यकीन मत कर इनकी,


बहाना ढूढ़ लेते हैं


साथ छोड़ने वाले।


 


धर्म और मजहब सब 


एक ही सीख देते हैं,


मतलब जुदा निकाल लेते हैं 


समाज तोड़ने वाले।


 


अपने घर की बात


घर में ही रहने दो,


लगाकर कान बैठे हैं 


घर को फोड़ने वाले।


 


दो बोल प्रेम के 


बोल संभल के ' पूरन '


नुक्ता ढूढ़ ही लेंगे 


तुझे टोकने वाले।

आजकल घर से बाहर तू


निकल कदम फूक -फूक कर,


घुस सकते हैं तुझ में


वायरस कोरोना वाले ।

एक नज़र उनकी 


तरफ भी देख जी भर,


बड़ी हिम्मत से जूझ रहे हैं


क्रूर कोरोना से लड़ने वाले।

करते हैं दिल से सलूट


इन साहसी कर्मवीरों को,


अथाह हिम्मत वाले हैं 


ये कोरोना को भगाने वाले ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल


16.10.2020


 


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