Tuesday 27 October 2020

Shahar ka park : शहर का पार्क

खरी खरी - 722 : शहर का पार्क

क्रिकेटियों ने पार्क की

हरियाली कर दी उजाड़,

कहीं विकेट ईंटों से बनाए

कहीं बनी ट्री गार्ड उखाड़ ।

लावारिश पशु की टोली

घूम-घूम कर चर रही,

कहीं फुटबॉल खिलाड़ी

कहीं साइकिल चल रही ।

पोस्टर टांगे पेड़ों पर

ठोक अगिनत परेक,

रोकने वाला कोई नहीं

देखने वाले अनेक ।

अकड़ पार्क में चल रहा

श्वान मालिक श्वान संग,

श्वान शौच जँह तँह कराए

खुद करे लोगों से जंग ।

कहीं पन्नी गुटके की फैंकी

सिगरेट बिड़ी दी कहीं फैंक,

प्लास्टिक थैली प्लेट दोना

गिलास बोतल कहीं रही रैंग ।

तास टुकड़े कहीं बिखरे

फल छिलके पड़े कहीं,

सांझ होते झुंड शराबी

हो मदहोश गिरते जमी ।

जो भी जन यहां सैर करे

दृश्य उसे नहीं भाता,

किसको रोके क्योंकर टोके

चुप्पी साधे जाता ।

हमने पार्क को अपना न समझा

जाना इसे सरकारी,

सुन्दर स्वच्छ बनाएं इसको

समझी न जिम्मेदारी ।

खोलो अपने मुंह का ताला

धर धीरज इन पर शब्द जड़ो,

दर्शक मूक बने रहो मत

पार्क बचाने आगे बढ़ो !!

पूरन चन्द्र काण्डपाल

28.10.2020

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