Monday 10 August 2020

Shrikrishn janmaashtmi : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

खरी खरी - 675 : 'गीता' की बात भी हो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर


      कुछ लोग आज 11 अगस्त 2020 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मना रहे हैं तो कुछ कल (12 अगस्त 2020 ) मनाने की सोच रहे हैं  । इस महोत्सव में श्रीकृष्ण के कर्म संदेश की चर्चा प्रमुखता से होनी चाहिए जो नहीं होती । 'गीता' के कर्म संदेश का मूल अर्थ यह नहीं है कि बिना फल या परिणाम का लक्ष्य बनाये हम कर्म करते जाएं । "कर्मण्डे वा....कर्मणी"  का भाव यह है कि हम कर्म करें और जो भी प्रतिफल मिले उसकी चिंता न करते हुए उसे स्वीकार करें । हम जो भी कर्म करेंगे उसका फल हमें भोगना पड़ेगा । इसलिए कर्म करने से पहले सोच लेना उचित होगा । खैर लोग अपने अपने हिसाब से व्याख्या करते हैं । इसी अपने अपने हिसाब के कारण अक्सर एक दिन मनाया जाने वाला पर्व दो दिन मनाया जाता है ।

        श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर आजकल ज्ञान की बात से अधिक मनोरंजन पर ध्यान दिया जाता है । पिछली बार की एक बानगी देखिए - एक फिल्मी गीत है, 'हम-तुम चोरी से , बंधे एक डोरी से ...।' इस गीत पर जन्माष्टमी पर पैरोडी बना दी गई, 'बृज की छोरी से, राधिका गोरी से, मैया करा दे मेरा ब्याह...।' तीन कलाकार- एक राधा, दूसरा कृष्ण और तीसरा यसोदा ।  गीत में कृष्ण बना कलाकार यसोदा के कलाकार से कह रहा है और राधा बना कलाकार नाच रहा है तथा लोग सिटी बजा कर इस भौंडे नृत्य-गान में मस्त हैं । कृष्ण की पत्नी रुकमणी जी थी । राधा तो कृष्ण की अनन्य भक्त थी फिर यह फिल्मी पैरोडी पर लोगों ने आपत्ति क्यों नहीं की ? यह क्या हो रहा है, क्या संदेश जा रहा है, किसी को कोई मतलब नहीं ? पैरोडी गाने वाले के साथ गुटका मुंह में उड़ेले कलाकार वाद्य बजा रहे हैं औऱ श्रीकृष्ण का जन्मदिन मनाया जा रहा है ।

      काश ! मंच से श्रीकृष्ण के बहाने नशामुक्ति और स्वच्छता अभियान का भी उद्घोष बीच -बीच में होता तो कोई तो बदलता । कर्म - संस्कृति और संस्कारों की बात होती तो समाज में कुछ परिवर्तन आता । लकीर के फकीर बनकर हमने उत्सव जरूर मनाया, पैरोडियाँ सुनी, रासलीला देखी, माखन चोरी मंचित हुई परन्तु गीता के 18 अध्यायों के 700 श्लोकों में से एक की भी चर्चा नहीं हुई । कहीं कहीं पर तो - "कन्हैया तेरो जन्मदिन ऐसो मनायो, कटिया डाल के बिजली ल्हीनी जगमग भवन बनायो " भी होता है । चोरी की बिजली से टेंट सजाया जाता है ।

     गीता के प्रथम अध्याय के प्रथम श्लोक का प्रथम शब्द है "धर्म'' और अंतिम अध्याय के अंतिम श्लोक का अंतिम शब्द है "मम।" इन दोनों को जोड़ें तो शब्द बनता है "धर्ममम'' अर्थात मेरा धर्म है केवल 'कर्म', वह कर्म जो जनहित में हो, समाज हित में हो और देश हित में हो । योगेश्वर श्रीकृष्ण के इस संदेश का मंथन आज के परिवेश में नितांत आवश्यक है । श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पुनः शुभकामनाएं ।

( देश में कोरोना संक्रमण के कारण इस बार कोई सामूहिक आयोजन न करने का आदेश है जो उचित है । इस दौर में देश में 22 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं और 44 हजार से अधिक लोग इस महामारी के शिकार हो गए हैं जिनमें कई डाक्टर, नर्स, पुलिस, सफाई कर्मी सहित कई कर्मवीर शामिल हैं । कर्म संस्कृति अपनाते हुए अपना बचाव करें । देह दूरी और मास्क जरूरी के साथ साबुन से नियमित हाथ धोना भी जरूरी है । सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल

11.08.2020

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