मीठी मीठी - 502 : क्या कहती है रेल ?
चलते रहूं विश्राम न पाऊं
मैं सबको मंजिल पहुँचाऊँ,
उत्सव त्यौहार दिन हो रात
जाड़ा गर्मी या बरसात ।
जीवन नाम है चलते रहना
दुःख संकट में नहीं घबराना,
लक्ष्य एक हो मंजिल पाना
बस आगे ही बढ़ते जाना ।
रुकावटें तो आती रहती
दृढ संकल्प हो वे झुक जाती,
रेल हमें बस यही सिखाती
जीने की है राह दिखाती ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.08.2020
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