मीठी मीठी - 494 : एक सेवानिवृत टैंक से मुलाकात
उत्तर भारत में भ्रमण के दौरान एक विशेष जगह पर सम्मान के साथ स्थापित भारतीय स्थल सेना के एक सेवानिवृत टैंक से बिलकुल नजदीक से मुलाकात हुई । मेरे पूछने पर टैंक ने बताया, "सर सेवानिवृत्ति के बाद इस स्थान पर मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं । दिन भर जो भी देशवासी यहां से गुजरता है, बड़ी गर्मजोशी और गर्व के साथ मेरी ओर देखता है । कई लोगों ने तो मेरे अंग - अंग को बड़े सम्मान से स्पर्श किया है, सहलाया है। बच्चे तो कभी कभी मेरी गोद में सवार हो जाते हैं ।"
सेवानिवृत टैंक अपनी दास्तान सुनाते गया, " मुझे अपने जीवन पर गर्व है क्योंकि मेरे पूर्वज वर्ष 1948, 1962 और 1965 के सभी युद्धों में लड़े और दुश्मन को छटी का दूध याद दिलाया । मैं 1971 के युद्ध में अपने साथियों के साथ पश्चिमी सीमा पर लड़ा और दुश्मन को नेस्तोनाबूद किया । आज भी मेरे वंशज बड़ी मजबूती के साथ देश की सीमाओं पर डटे हैं जिन्होंने 1999 का कारगिल युद्ध भी लड़ा । हमारी हिम्मत, मजबूती, जोश और युद्ध प्रवीणता को देखकर कोई भी दुश्मन हमारी ओर आंख उठाकर नहीं देख सकता । अपनी भारतभूमि की सेवा करने के लिए मैं स्वयं को धन्य समझता हूं । जयहिंद ।" इस अमर सेनानी सेवानिवृत टैंक को सलूट और टैंक योद्धा परमवीर चक्र विजेता (मरणोपरांत - 1965) CQMH अब्दुल हमीद एवम् सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण क्षेत्रपाल, परमवीर चक्र (मरणोपरांत -1971 ) का स्मरण करते हुए मैं अपने गंतव्य की ओर निकल गया ।
पूरन चन्द्र कांडपाल
04.08.2020
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