Tuesday 25 August 2020

Rapid promotion : रैपिड प्रोमोशन

खरी खरी - 686 : रैपिड प्रोमोसन (द्रुत प्रोन्नति)

    आजकल सोसल मीडिया और कई मंचों पर कुछ लोग चिकनी -चुपड़ी, रंग-पुताई से भरपूर, विशेषण युक्त शब्दावली से बहुत ही द्रुत प्रोन्नति (रैपिड प्रोमोसन ) दे रहे हैं । बानगी देखिए -

अभी एक भी गीत नहीं गाया -
सुर सम्राट, लोक गायक !

अभी संगीत का पता भी नहीं-
संगीतज्ञ, संगीत सम्राट !

अभी कविता का ककहरा नहीं सीखा-
जन कवि, कवि शिरोमणि !

अभी लेखन ने पुस्तक रूप नहीं धरा-
विख्यात लेखक, प्रसिद्ध साहित्यकार !

रंगमंच में पहला कदम-
सुप्रसिद्ध रंगकर्मी !

मंच संचालन की वर्णमाला ज्ञात नहीं-
कुशल एवं श्रेष्ठ मंच संचालक !

कला  औऱ अदाकारी से अनभिज्ञ-
सुप्रसिद्ध अदाकार, उत्कृष्ट कलाकार !

समाज की कोई सेवा नहीं-
जाने-माने समाज सेवी !

राजनीति में मुहल्ले में भी नहीं-
लोकप्रिय राजनेता, जन-नेता !

भाषण में माफियागिरी-
विद्वान वक्ता !

       मित्रो विशेषण जरूर लगाइए परन्तु ईमानदारी से खपने लायक हों, पचने लायक हों । इतनी अतिशयोक्ति भी मत करिए कि पीतल को सोना कह दो । बच्चे के चेहरे पर दाड़ी मत उगाइये, भद्दी लगेगी । आत्मप्रशंसा और स्वमुग्धा से हम आगे बढ़ने के बजाय पीछे रपट सकते हैं । अतः विशेषण देख-परख कर ही चस्पाइये ताकि पढ़ने, सुनने और समझने वालों को ये शब्द शिष्ट, सहज और सत्य लगें । अंत में यही कहूंगा -

'हम तो बदनाम हो गए
खरी खरी सुनाने में,
कह दो हम से कुछ भी बेझिझक
कुछ नहीं धरा मसमसाने में ।'

( कुछ छूट गया है तो जोड़ने का सुझाव शिरोधार्य है । आजकल कोरोना के कारण जमीन में होने वाले आयोजन वेबीनार में हो रहे हैं जो अच्छी सामाजिकता का परिचायक है ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.08.2020

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