Saturday 15 August 2020

baadh, jimmedaar कौन ? : बाढ़ ! जिम्मेदार कौन ?

खरी खरी - 678 : देश में हर साल बाढ़ ! जिम्मेदार कौन ?

        कल जब हम अपने 74 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे थे तो  देश के कई भागों को भीषण बाढ़ ने अपनी चपेट में के रखा था । केरल, कर्नाटक,असम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र सबसे अधिक प्रभावित थे । यहां कई लोगों की डूबने से मृत्यु भी हो गई है । उत्तराखंड में भी बादल फटने से बहुत क्षति हुई है । वैज्ञानिकों के अनुसार जिस वर्षा को लगातार दो हफ्ते होना था वह अचानक एक या दो दिन में होने लगी है । देश में कहीं सूखा है तो कहीं अधिक वर्षा हो रही है । बाढ़ से होने वाली यह त्रासदी  अधी वर्षा के कारण तो होती है परन्तु जिम्मेवार हम और हमारा शासन तंत्र भी है ।

          ग्लोबल वार्मिग के कारण पूरा वर्षा चक्र गड़बड़ा गया है और ग्लोबल वार्मिग का कारण भी हम और हमारा असंतुलित पर्यावरण को छेड़ना है । बंगाल और ओडिसा का भीषण चक्रवात भी इसी का कारण है ।  हमने 2013 की केदारनाथ विभीषिका से कुछ नहीं सीखा जिसमें 5800 लोग जल प्रलय से अपना जीवन खो चुके थे । वहां हमने नदी के घर में ( बहाव क्षेत्र ) अपने डेरे बना लिए थे । अन्य राज्यों में भी यही हो रहा है । नदी के बहाव क्षेत्र में घर या बाजार बन गए हैं , कुएं और तालाब लुप्त करके वहां भी मनुष्य ने रहना शुरू कर दिया है । यह सब सरकार और शासन की नाक के नीचे होता है । स्थानीय निकाय इस अवैध निर्माण के साक्षी होते हैं । भ्रष्टाचार की चादर की ओट में यह अवैध कर्म वैध हो जाता है । यह पूरे देश की हालत है किसी राज्य विशेष की नहीं । हमारा प्रति व्यक्ति पेड़ का औसत भी दुनिया के कई देशों से कम है । पौध रोपण की बात अवश्य होती है और कुछ पौधे रोपे भी जाते होंगे परन्तु कितने पौधे पेड़ बनते होंगे यह कहा नहीं जा सकता ।

       बाड़ में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति हम एक कोरी सहानुभूति के सिवाय और कर भी क्या सकते हैं ।  वर्षा और बाड़ के थमने के बाद जिंदगी को पीड़ित लोग पुनः रास्ते में लाने का प्रयास करेंगे । मीडिया - अखबार भी चुप हो जाएंगे । पिछले साल भी यही हुआ और अगले साल फिर यही होगा । क्या हमारी सरकारें या नीति नियंता इस प्रतिवर्ष की त्रासदी पर कुछ मंथन करेंगे ? क्या हम पर्यावरण की छेड़छाड़ में संयम बरतेंगे । क्या लोग ग्लोबल वार्मिंग पर गंभीरता से सोचेंगे ?  इस बीच एक सलूट उनको जरूरी है जो वर्दी पहने भगवान के रूप में पीड़ितों का जीवन बचा रहे हैं । जयहिंद एनडीआरएफ, जयहिंद एसडीआरएफ, जयहिंद हिन्द की सेना । एक जयहिंद उन संवेदनशील मनखियों को भी जो वर्ष में किसी न किसी अवसर पर कुछ पौधे अवश्य रोपते हैं और बाढ़ पीड़ितों की मदद में हाथ भी बंटाते हैं ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
16.08.2020

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