Wednesday 12 August 2020

Dukh ke karan : दुख के कारण

खरी खरी - 676 :  दुख के कारण

     जीवन में दुःखों के लिए जिम्मेदार कौन है ?
भगवान, गृह-नक्षत्र, भाग्य, रिश्तेदार, पड़ोसी या सरकार ? इनमें से कोई नहीं । सिर्फ हम जिम्मेदार हैं ।  सोचिए -

1. हमारा सरदर्द, फालतू विचार से ।

2.पेट दर्द, गलत खाने से ।

3. हमारा कर्ज, जरूरत से ज्यादा खर्चे से ।

4.हमारा दुर्बल /मोटा /बीमार शरीर, गलत जीवन शैली से ।

5. हमारे कोर्ट केस, हमारे अहंकार से ।

6. हमारे फालतू विवाद, ज्यादा व व्यर्थ बोलने से ।

         उपरोक्त कारणों के सिवाय हमार दुख के कई अन्य कारण भी हैं । हम बेवजह दोषारोपण दूसरों पर करते रहते हैं  या भगवान को दोष देते हैं । यदि हम इन कष्टों के कारणों पर बारिकी से विचार करें तो पाएंगे कि कहीं न कहीं हमारी मूर्खताएं, स्वछंदता, या अकड़ ( ईगो ) ही इनके पीछे है। सोसल मीडिया की लड़ाई भी दुखदाई है क्योंकि कुछ लोग इसे गंभीरता से लेते हैं जबकि जिनके लिए बहस/लड़ाई/गाली- गलौज हो रही है वे मस्त हैं ।  हम जन्माष्टमी जरूर मनाते हैं परन्तु कर्म - संस्कृती जिसका संदेश योगेश्वर श्रीकृष्ण ने दिया उस पर तनिक भी मंथन नहीं करते । मनुष्य के गिले- शिकवे सिर्फ़ साँस लेने तक हैं , बाद में तो सिर्फ़ पछतावे ही रह जाते हैं । इन बिंदुओं पर मंथन करें और यथार्थ को समझते हुए स्वयं में बदलाव लाएं । जो लोग आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मना रहे हैं उन्हें भी शुभकामनाएं ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
12.08.2020

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