Monday 16 March 2020

Gairsain Rajdhani : गैरसैण राजधानी

खरी खरी - 583 : तेलंगाना -आंध्रा से कुछ सीखें

       देश का 29वां राज्य तेलंगाना 2 जून 2015 को घोषित हुआ । इसकी राजधानी हैदराबाद घोषित हुयी । आंध्रा के लिए नयी राजधानी अमरावती तय हुयी जिसका निर्माण कार्य जोरों पर है । हमारे राज्य को बने हुए 19 वर्ष हो गए । इस दौरान यहां 8 मुख्यमंत्री बने परंतु राजधानी गैरसैण तय होने के बाद भी अभी तक देहरादून में अटकी है । अभी तक गैरसैण को राजधानी घोषित भी नहीं किया गया है । अब ग्रीष्म कालीन की बात हो रही है जो नाकाफी है । गैरसैण को पूर्णकालिक राजधानी बनाने से ही उत्तराखंड का भला होगा । तेलंगाना में 11 अक्टूबर 2016 को 21 नए जिले भी अस्तित्व में आ गए हैं । उत्तराखंड में 4 जिले घोषित हुए एक अरसा बीत गया परंतु अस्तित्व अभी दूर है । हम कुछ तो तेलंगाना- आंध्र प्रदेश से सीखें । हमें शायद बुसिल ढुंग इसीलिये कहने लगे हैं लोग ।

      क्या गैरसैण राजधानी के लिए एक और आंदोलन की आवश्यकता पड़ेगी ? उनका सिंगल इंजन और इनका डबल इंजन शक्तिहीन हो गए हैं । राजधानी की कोई बात ही नहीं करता । अब जनता को सोचना है । पलायन रोकने और उत्तराखंड में विकास को गति देने के लिए राजधानी का पूर्णकालिक गैरसैण कूच नितांत आवश्यक है । राज्य आंदोलन के 42 शहीदों ने भी राजधानी गैरसैण ही तय की थी और इसके लिए अपना बलिदान दिया था । हमने उन शहीदों को भी भुला दिया जिन्होंने राज्य और राजधानी गैरसैण के लिए वर्ष 1994 में अपने सीने में गोली खाई । हमने उत्तराखंड की नारी शक्ति के उस अपमान को भुला दिया जिसकी वीभत्स गूँज आज भी मुज्जफरनगर चौराहे पर गूँज रही है जिसके गवाह है उस आसपास के राई और बागोवाली गांव जो उत्तराखंड की नारी के सम्मान की रक्षा करने के लिए 2 अक्टूबर 1994 की भोर को आगे बढ़े थे ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
17.03.2020

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