Sunday 15 March 2020

Dipressation : डिप्रेशन

खरी खरी - 582 : डिप्रेशन (अवसाद )

     अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना जाता है कि उसका बौस डिप्रेशन का शिकार है,  पति या पत्नी अवसाद में है, उसका पड़ोसी डिप्रेशन में है, रिश्तेदार/ परिजन या कोई अन्य जानकार डिप्रेशन में चला गया है । ऐसा कहने वाले लोग स्वयं अपने बारे में नहीं जानते । डिप्रेशन या अवसाद एक मानसिक असंतुलित हालत होती है जिसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं -

- चिड़चिड़ापन
- जल्दी गुस्सा आना
- जिद्दी होना, अड़ियलपन
- भुलक्कड़ी पनपना
- अंधेरा पसंद होना
- मजाक पसंद नहीं करना
- सलाह का विरोध करना
- विनम्रता रहित होना
- बदलाव / सुधार अस्वीकार्य होना
- कोई रुचि नहीं होना
- हर बात पर प्रतिकार करना
- अधिक बोलना, जोर से बोलना
- कभी कभी गुमसुम रहना
- नकारत्मक सोचना
- शक या संदेह करना
- बिना सोचे ही बोलना
- आत्महत्या के विचार आना
- अपनी कही हुई बात को सही मनाना
- अध्ययन से विरक्ति होना
- अपनों के बजाय गैरों पर भरोसा होना
- नींद कम आना
-  यदा - कदा नींद में बोलना

      गुस्सा या उपरोक्त लक्षणों से आंशिक तौर पर लगभग सभी मनुष्य ग्रसित रहते हैं । प्रत्येक व्यक्ति में इन लक्षणों का न्यूनतम होना आश्चर्य या चिंता की बात नहीं है परन्तु  इन लक्षणों का धीरे धीरे बढ़ना या अत्यधिक होना किसी को भी डिप्रेशन का शिकार बना सकता है । ऐसा व्यक्ति परिवार के लिए अवश्य ही चिंता का विषय है । ऐसे व्यक्ति को अकेला छोड़ना कभी भी बड़ी समस्या पैदा कर सकता है । उससे मजाक नहीं करनी चाहिए बल्कि साधारण बातचीत करते रहनी चाहिए और वह जोर से बोलने लगे तो चुप हो जाना चाहिए ।

        अवसाद ग्रस्त व्यक्ति से कम बोला जाय । उस व्यक्ति से उसी की तरह पेश नहीं होना चाहिए अन्यथा स्तिथि बिगड़ सकती है । उसमें कोई रुचि पैदा हो सके इस तरह के उपाय किए जाने चाहिए । यदि यह व्यक्ति व्यस्त रहे तो उचित होगा । उसकी कमियां नहीं गिनाई जानी चाहिए और उससे ' तू डिप्रेशन का मरीज है' जैसे शब्द भूल कर भी नहीं कहने चाहिए । यही सलाह काउंसिलिंग वाले भी देते हैं । उपरोक्त वर्णित समस्या जो कोई बीमारी नहीं है बल्कि व्याहारिक विकृति है, से पारिवारिक सहयोग से धीरे धीरे कम किया जा सकता हैं ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
16.03.2020

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