Wednesday 18 March 2020

Bank karj wasool : बैंक कर्ज वसूल

बिरखांत - 310 : बैंकों की कर्ज वसूली

     हमारे देश में एक प्रश्न आम व्यक्ति के मन में गूंजता है, क्यों नहीं होता बैंकों का कर्ज वसूल ?  हमारे देश में तीन प्रकार के बैंक है –सार्वजानिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक और विदेशी बैंक | वर्तमान में 21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं और कुल मिलाकर देश में लगभग 87 व्यावसायिक (कामर्सियल) बैंकों की लगभग एक लाख दस हजार से अधिक शाखाएं हैं जिनका नियंत्रण रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (भारतीय रिसर्व बैंक) द्वारा होता है और यह पूर्ण तंत्र वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आता है | वर्ष 1969 में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी द्वारा बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ | इससे पहले बैंक आम आदमी की पहुँच से बाहर थे | देश के प्रत्येक व्यक्ति को बैंकों से जोड़ने का कार्य निरंतर चल रहा है |

      बैंकों में लोग धन जमा करते हैं और वह धन देश की प्रगति पर लगाया जाता है, साथ ही नियमानुसार बैंकों से धन व्यापार या कामधंधे कि लिए ब्याज पर उद्यमियों को उधार भी दिया जाता है जिसे हम अग्रीम या एडवांस भी कहते हैं | जनता को अपना जमा किया हुआ धन मांग पर ब्याज सहित लौटाया जाता है| हमारे देश में बैंकों पर जनता को दृढ़ भरोसा है और बैंकों की विश्वसनियता उच्च स्तर की बनी हुई है |पिछले कुछ वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र एवं अन्य बैंकों का ऋण न शर्तानुसार लौटाया जा रहा है और न ही उसका ब्याज मिल रहा है | बैंकिंग भाषा में इस धन को एन पी ए (नान परफॉर्मिंग असेट या गैर उत्पादित आस्तियां ) कहते हैं | 2018 में यह रकम बढ़कर लगभग दस लाख करोड़ रुपए से भी अधिक बताई जाती है |

     बैंकों का कर्ज वसूल न होना चिंता की बात है | एन पी ए बन गयी लगभग यह पूर्ण रकम बड़ी कम्पनियों या तथाकथित बड़े धनाड्य घरानों के पास है | गरीब या आम आदमी कभी भी ऋण नहीं रोकता, वह उधार लिया हुआ ऋण हर हाल में चुकाता है | आम आदमी से ऋण वसूलने में बैंक भी देरी नहीं करते, निश्चित तारीख पर दरवाजा खटखटाने पहुँच जाते हैं | देश के इन बड़े देनदारों पर हमारे बैंक कोई कार्यवाही नहीं करते क्योंकि बड़े घराने जो हुए फिर उन पर ऊपर बैठे हुए ‘बड़ों’ का हाथ भी होता है | मरते किसान से वसूली और बड़े मगरमच्छों को खुली छूट क्यों ? हाल के दिनों में पी एम सी और यश बैंक ने जमाकर्ताओं के जो पसीने छुटाए वह भूला नहीं जाएगा ।

     क्या जनता क यह धन यों ही डूब जाएगा ? क्या क़ानून केवल गरीब या आम आदमी के लिए ही है ? क्या इस धन को वसूलने की चिंता हमारी सरकार को है ? हाल के दिनों में जो बड़े मगरमच्छ बड़े घोटाले करके देश छोड़ कर भाग गए हैं  क्या वे पकड़े जॉयेंगे ? जिन लोगों ने इन घोटालों में मदद की क्या उन्हें सजा मिलेगी ?  ये घोटाले ऑडिट में क्यों नहीं पकड़े गए ? ये प्रश्न हमारी सांस लेने वाली हवा में घुल कर घुटन महसूस करा रहे हैं क्योंकि इन प्रश्नों के पीछे न्याय की तड़फ है | सरकार को बैंकों का ऋण नहीं लौटाने वालों पर सख्त कार्यवाही  करते हुए इन प्रश्नों के उत्तर जनता को देने चाहिए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
19.03.2020

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