Friday 31 January 2020

Maan se badhkar kaun ? :मां से बढ़कर कौन ?

मीठी 419 : मां से बढ़कर कौन ?

           माँ को याद करने के लिए एक विधा काव्य भी है । मां को याद करने के लिए किसी खास दिन की प्रतीक्षा भी क्यों हो ? मातृ - पितृ स्मरण तो हर सांस में होना चाहिए । काव्यांजलि के माध्यम से याद करना या  श्रद्धांजलि अर्पित करना सुकून देता है । माँ के बारे में जितना अधिक कहा जाय वह कम है । कुछ छंद प्रस्तुत हैं -

स्नेह वात्सल्य ममता करुणा की
सबसे सुंदर सूरत तू,
त्याग तपस्या स्व-अर्पण की
जीती-जागती मूरत तू ।

जग सेवा में तत्पर माँ की
सेवा कहाँ कोई कर पाया,
जग से गई सिधार जिस दिन
त्याग स्मरण उसका आया ।

अंतिम क्षण तक थकी नहीं तू
सेवा जग की करती रही,
जग के उजियारे के खातिर
सदा दीप सी जलती रही ।

माँ के कर्ज से महीं में कोई
उऋण नहीं हो सकता है,
आँचल की उस अमृत बूंद का
मोल चुका नहीं सकता है ।

( मेरा हिंदी कविता संग्रह "स्मृति - लहर" की कविता 'माँ से बढ़कर कौन' से उधृत ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल
01.02.2020

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