Tuesday 28 January 2020

Rakhi aur guldad :राखी और गुलदाड़

मीठी मीठी - 414 : राखी और गुलदाड़

      वीरता की पराकाष्ठा तब होती है जब कोई अपनी जान की परवाह किए बिना कर्तव्य की ललकार को सुनता है । स्वयं की जान की बाजी लगाकर गुलदार के हमले से भाई की जान बचाने वाली उत्तराखंड की बहादुर बेटी राखी रावत को सामाजिक सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध संस्था 'नई पहल नई सोच ' ने  नई दिल्ली में सम्मानित किया। संस्था के संस्थापक और वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाज सेवी संजय दरमोड़ा ने राखी रावत एवं उनके पूरे परिवार को दिल्ली में सम्मानित किया। इस अवसर पर दरमोड़ा ने कहा पहाड़ की इस बहादुर बेटी ने अपनी बहादुरी से न केवल अपने छोटे भाई की जान बचाई बल्कि विश्व पटल पर उत्तराखंड का नाम रोशन किया।

     दस वर्षीय राखी रावत को गणतंत्र दिवस के अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार द्वारा अन्य 21 वीरता पुरस्कार विजेता बच्चों के साथ राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। गर्व महसूस करते हुए अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोडा ने कहा कि हमें अपने बहादुर बच्चों पर गर्व है। हमने निर्णय लिया है कि इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का शुभारंभ इस वीर बालिका को सम्मानित कर किया जाएगा। इस मौके पर मौजूद राखी के माता जी ने कहा कि राखी ने उन्हें एक नई पहचान दिलाई है। हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हमारी बेटी को एक दिन इतना सम्मान मिलेगा। हम आदरणीय संजय दरमोड़ा एवं नई पहल नई सोच के सभी कार्यकर्ताओं का आभार प्रकट करते है कि आप सब ने हमें इतना सम्मान दिया।

     बाल्यकाल में अदम्य साहस से सराबोर राखी और गुलदार की कहानी कुछ इस तरह है - पौड़ी गढ़वाल के बीरोंखाल ब्लॉक के देव कुंडई गाँव निवासी राखी रावत पुत्री दलवीर सिंह रावत चार अक्टूबर 2019 को अपने चार साल के भाई राघव और मां के साथ खेत में गई थी। खेत से घर लौटते समय गुलदार ने राखी के भाई पर हमला किया, भाई को बचाने के लिए राखी उससे लिपट गई थी। आदमखोर गुलदार के लगातार हमले से लहूलुहान होने के बाद भी राखी ने भाई को नहीं छोड़ा जिस पर राखी की मां के चिल्लाने की आवाज से गुलदार भाग गया था। राखी की इस बहादुरी के लिए राखी को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के तहत मार्कंडेय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू ) की ओर से दिल्ली में आयोजित भव्य समारोह में राखी को यह पुरस्कार असम राइफल्स के ले. कर्नल रामेश्वर राय के करकमलों से दिया गया।

(संपादित लेखांश सोसल मीडिया से साभार ।)

पूरन चन्द्र कांडपाल
28.01.2020

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