Saturday 1 February 2020

Gopal baboo goswami : गोपाल बाबू गोस्वामी

मीठी मीठी - 420 : गोपाल बाबू गोस्वामी स्मरण

     उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक गोपाल बाबू गोस्वामी भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं परंतु उनके गीत हमें आज भी उनकी उपस्थिति का अहसास कराते हैं। जीवन के हर पहलू को छूते उनके गीतों की सूची लंबी है। हर किसी को रूला देने वाला दुल्हन की विदाई का उनका मार्मिक गीत 'न रो चेली न रो मेरी लाल, जा चेली जा सौरास' तथा 'उठ मेरी लाड़ू लुकुड़ा पैरीले, रेशमी घाघरी आंगड़ी लगै ले' गीत की आज भी बखूबी सुने जाते हैं ।

     सुप्रसिद्ध लोक गायक दिवंगत गोपाल गिरी गोस्वामी को लोग गोपाल बाबू के नाम से जानते हैं। उनका जन्म चौखुटिया बाजार से लगे ग्राम पंचायत चांदीखेत में 02 फरवरी 1942 को मोहन गिरी गोस्वामी के घर हुआ था। बचपन से ही गीतकार बनने के जुनून में उन्होंने पांचवीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ दिया। वह 12 साल की उम्र से ही गीत लिखने और गाने लगे थे । अपने 54 साल के जीवन में उन्होंने करीब साढे़ पांच सौ गीत लिखे। उनका पहला गीत "कैलै बजे मुरूली औ बैंणा ऊंची ऊंची डान्यूमा" आकाशवाणी नजीबाबाद से प्रसारित हुआ था।

      1972 में भारत सरकार के गीत और नाटक प्रभाग में नियुक्ति के बाद गोस्वामी को अपना हुनर दिखाने का अच्छा मंच मिल गया। यहीं से उनके गीतों की संख्या और लोकप्रियता बढ़ती चली गई। सेवा के दौरान ही बीमारी के चलते 26 नवंबर 1996 मात्र 54 वर्ष की उम्र में यह महान गीतकार हमको अलविदा कह कर चला गया । लोक संस्कृति, रीति रिवाज ही नहीं बल्कि जीवन के हर क्षेत्र को छूने वाले उनके गीत हमेशा हमारे मन - मस्तिष्क में गूंजते रहेंगे।

       गोपाल बाबू के गीत "हिमालाको ऊंचा डाना प्यारो मेरो गांव, छविलो गढ़वाल मेरो रंगीलो कुमाऊं" लोग अक्सर गुनगुनाते हैं। नारी सौंदर्य पर लिखा गीत 'हाय तेरी रुमाला गुलाबी मुखड़ी, के भली छाजीरे नाखेकी नथुली', जीजा - साली संवाद का गीत 'ओ भीना कसकै जानू दोरिहाटा ...' जैसे गीत आज भी जन मानस की पसंद हैं । वर्तमान में जो भी गायक मंच से उनके गीत गाते हैं, कृपया गाने से पहले जरूर कहें कि " यह गीत गोपाल बाबू गोस्वामी का है ।" ऐसा कहने से आप में एक विनम्र भाव उत्पन्न होगा और उस गीतकार को श्रद्धांजलि भी होगी । अक्सर लोग उनका नाम लेना भूल जाते हैं जो दुखद है ।

( साभार हेम कांडपाल,सोसल मीडिया से संपादित लेख पर आधारित ।)

पूरन चन्द्र कांडपाल
02.02.2020

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