Saturday 10 April 2021

Milawat ka moh : मिलावट का मोह

खरी खरी - 826 : मिलावट का मोह

हल्दी में खड़िया

धनिए में लीद,

काली मिरच में

पपीते के बीज,

मिरच में लकड़ी का

बुरादा मिला है,

हर मसाले में मिलावट

का सिलसिला है ।

चावल में कंकड़

दाल में पत्थर,

आटे में मिट्टी

लगती है चर चर,

घी-तेल मिलावट से

हो गए बदतर,

अंदर से कुछ भी हो

खुशबू है ऊपर ।

शरबत में शकरीन

मिठाई में रंग है,

हर पकवान मिलावट के

रंग से भरा है,

लगता हरित है

रंग जिस भाजी का,

असली नहीं वह

नकली हरा है ।

'वर्क' मिठाई जो

ओढ़े हुए है,

ज़हर अपने में वह

जोड़े हुए है,

पनीर में यूरिया

समाया हुआ है,

दूध में रसायन

मिलाया हुआ है ।

अरे ! ओ मिलावट

के धंधे वालो,

इस कुकृत्य से

अपना मन मोड़ो,

होगी एक दिन

दुर्गति तुम्हारी,

हैवानियत के इस

धंधे को छोड़ो ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल

11.04. 2021

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