खरी खरी - 829 : हारेगा कोरोना हम सब जीतेंगे
कोरोना ने दुनिया में आग लगा दी है
मानव को मानव की औकाद बता दी है,
धृतराष्ट्र की तरह मानव चलने लगा था
सर्वशक्तिमान खुद को समझने लगा था,
पड़ोसी चीन ने पहले इसको छिपाया
जब मरने लगा तो दुनिया को बताया,
चीन से ही ये महामारी दुनिया में फैली
जिसने पूरे विश्व में अनगिनत जान लेली,
कोरोना को जब तक दुनिया समझ पाती
वायरस बना लाइलाज अति क्रूर उत्पाती,
लेकर हल्के में इसे कर दी लापरवाही
पूरे विश्व में मच गई है अब त्राहि त्राहि,
इक्कीस लाख मानव ग्रसित कर चुका है
सवा लाख जन जीवन को निगल चुका है,
भारत में भी पांव इसके पहुंच चुके हैं
हजारों जन ग्रसित हैं कई मर चुके हैं,
उपचार एक ही है इसके कहर का
कर ले गृह बंदी तू घर में ठहर जा ।
संकल्प कर लें हम सब घर में रहेंगे
हारेगा कोरोना हम मिलकर जीतेंगे ।
(एक साल बाद भी यह कविता आज के दौर में प्रासंगिक। आज देश में पिछले 24 घंटे में 2 लाख से अधिक नए कोरोना केस जबकि दिल्ली में इसी दौरान 19.5 हजार से अधिक नए केस। मरने वालों की संख्या भी डरावनी है। श्मशान घाटों में स्थिति बहुत भयानक। क्या अब कुंभ और चुनाव के बारे में पुनः नहीं सोचा जाना चाहिए ? कुंभ समाप्त होना चाहिए और पश्चिम बंगाल के बचे हुए चार चरण के चुनाव अब एक दिन में समाप्त होने चाहिए। ऐसा करने से स्थिति को बदतर होने से बचाया जा सकता है। )
पूरन चन्द्र कांडपाल
17.04.2021
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