खरी खरी - 823 : कोरोना से लड़ने वाले
रोने से कभी
कुछ नहीं मिलता,
रह नहीं गए अब
आंसू पोछने वाले ।
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दूर क्यों जाते हो
खोजने -ढूढने उन्हें,
तुम्हारे सामने ही हैं
पीठ पीछे बोलने वाले।
भरोसा मत करो
दिल अजीज कह कर,
शरीफ से लगते हैं
छूरा घोपने वाले।
संभाल अपने को
मतलब परस्तों से,
देर नहीं लगायेंगे
भेद खोलने वाले।
साथ देने की कसम पर
यकीन मत कर इनकी,
बहाना ढूढ़ लेते हैं
साथ छोड़ने वाले।
धर्म और मजहब सब
एक ही सीख देते हैं,
मतलब जुदा निकाल लेते हैं
समाज तोड़ने वाले।
अपने घर की बात
घर में ही रहने दो,
लगाकर कान बैठे हैं
घर को फोड़ने वाले।
दो बोल प्रेम के
बोल संभल के ,
नुक्ता ढूढ़ ही लेंगे
तुझे टोकने वाले।
आजकल घर से बाहर तू
मास्क पहनकर ही निकल,
नहीं तो घुस सकते हैं तुझ में
वायरस कोरोना वाले ।
एक नज़र कोरोना वैक्सीन
की तरफ भी देख जी भर,
बड़ी हिम्मत से जूझ रहे हैं
क्रूर कोरोना से लड़ने वाले।
करते हैं दिल से सलूट
इन साहसी कर्मवीरों को,
अथाह हिम्मत वाले हैं
ये कोरोना को भगाने वाले ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
06.04.2021
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