Tuesday 2 March 2021

Thukkadon ko thankyou : थुक्कड़ों को थैंक्यू

खरी खरी - 801 : थुक्कड़ों को थैंक्यू कहिए

       ‘दाने-दाने में जायका’, ‘बेजोड़’ आदि शब्द-जालों के भ्रामक विज्ञापन पान मसालों के बारे में हम आए दिन देख-सुन रहे हैं | पाउच पर महीन अक्षरों में जरूर लिखा है, “पान मसाला चबाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है’ | पान मसाला, गुट्का, तम्बाकू, खैनी, जर्दा चबाने वालों और धूम्रपान करने वालों को अनभिज्ञता के कारण अपनी देह की चिंता नहीं है परन्तु इन्होंने सड़क, शौचालय, स्कूल, अस्पताल, दफ्तर, रेल-बस स्टेशन, कोर्ट-कचहरी, थाना, गली -मुहल्ला, सीड़ी-जीना, यहां तक कि श्मशान घाट तक अपनी गंदी करतूत से लाल कर दिया है |

     बस से बैठे-बैठे बाहर थूकना, कार से थूकना, दो-पहिये या रिक्शे से थूकना इनकी आदत बन गयी है | पान-सिगरेट की दुकान पर, फुटपाथ, दिवार या कोना सब इनकी काली करतूत से लाल हो गये हैं | जहां-तहां थूकने वालों का यह नजारा राजधानी दिल्ली सहित पूरे देश का है | क़ानून बना है पर उसकी अवहेलना हमारे देश में आम बात है | क़ानून बनाने वाले और क़ानून के पहरेदार भी क़ानून की परवाह नहीं करते | हरेक थूकने वाले के पीछे पुलिस भी खडी नहीं हो सकती है | कोरोना संक्रमण के इस दौर में भी कई बार चिकित्सकों द्वारा जगाए जाने के बाद भी इन थुक्कड़ों में परिवर्तन नहीं आया । जहां - तहां थूकने से भी संक्रमण फैलता है ।

      इन थूकने वालों को देख मसमसाने के बजाय, दो शब्द इन्हें “थैंक यू” कहने की हिम्मत जुटा कर हम स्वच्छता अभियान के भागीदार तो बन सकते हैं | “थैंक यू” इसलिए कि न लड़ सकते हैं और लड़ने से बात भी नहीं बनने वाली | हम तो अपने घर के बन्दे से भी इस मुद्दे पर कुछ कहने से डरते हैं |  कुछ महीने पहले काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर जर्मनी के एक जोड़े ने बातों-बातों में मुझे रेलवे प्लेटफार्म की इस गन्दगी के बारे में इस तरह बताया, “आपके देश में सार्वजनिक सम्पति से लोगों को प्यार नहीं हैं | जहां-तहां कूड़ा फैंकने और थूकने को गलत नहीं मानते, जहां मर्जी थूक देते हैं, लघु शंका कर देते हैं, "आदि-आदि | उन्होंने हमारी और भी कएक बुराइयां गिनवाई तथा कड़वे अनुभव सुनाए | उनकी बात सही थी | बहुत शर्मिंदा हुआ | क्या बचाव करता, कौनसी छतरी खोलता | हम हैं ही ऐसे |

     उस जोड़े के पास दिल्ली आने का टिकट तो था परन्तु आरक्षण नहीं था | मेरा एक बर्थ रिजर्व था | मैंने बिगड़ी तस्वीर को सुधारने की सोच के साथ कहा, “आप टी टी ई से कहें, वह आपकी मदद करेगा | यदि बर्थ नहीं मिले तो आप मेरे पास जरूर आइए |”  मैंने उन्हें अपना बर्थ और बोगी नंबर लिख कर दे दिया | मैं मन ही मन सोच रहा था, “काश ! वह जोड़ा आ जाता तो मैं छै घंटे जैसे-तैसे काट लेता परन्तु उस जोड़े को अपना बर्थ दे देता | एक घंटा बीतने पर भी वह जोड़ा नहीं आया | शायद उन्हें बर्थ मिल गया होगा | मुझे आज भी मलाल है कि मैं उस विदेशी जोड़े के सामने अपने देश की इमेज सुधारने का भागीदार नहीं बन सका |”

पूरन चन्द्र काण्डपाल
03.03.2021

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