खरी खरी - 802 : भाषण - कविता - प्रवचन किसके लिए ?
हमारे समाज में कुछ ऐसे कवि, लेखक या साहित्यकार हैं जो अपनी ही कही बात पर नहीं चलते । जो कहते या लिखते हैं उस पर अमल नहीं करते ।
ये लोग पृथ्वी को प्रदूषण से बचाने, पेड़ लगाने, यमुना या अन्य नदियों को गन्दा नहीं करने की खूब बातें करते हैं परंतु समय आने पर खुद उदाहरण पेश नहीं करते । ऐसा यमुना किनारे दिल्ली स्थित निगमबोध घाट पर अक्सर होता है जब ये लोग शव को CNG में दाह करने के बजाय शव की चिता यमुना के किनारे लगाते हैं और नदी को मैली, कुचैली करते हुए उसका प्रदूषण बढ़ाते हैं ।
इसी तरह शराब और धूम्रपान के विरुद्ध पढ़ी गई कविता के बाद शराब और बीड़ी- सिगरेट पीते हैं या गुटखा चबाते हैं । यह दुखद है । ये तथाकथित सरस्वती के वरद पुत्र अपनी कही हुई बात - प्रवचन - कविता पर नहीं चलते हैं, स्वयं को समाज का मार्ग दर्शक कहते हैं और सभी प्रकार का नशा करते हैं । क्या आपका वह लेख, कविता और भाषण सिर्फ औरों के लिए है ? कृपया अपनी कही हुई बात पर चलें , कथनी-करनी में अंतर न करे । लोग आपको देख रहे हैं ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
04.03.2021
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