मीठी मीठी - 578 : होइकि शुभकामना
रंगीलि ऋतु बसंत कि ऐजीं
डाव- बोटों में रंगवाइ छैजीं,
घर- घर जैबेर होयार नाचनी
रंग लगूनी पिंगइ चीर बादनी।
होइ में देवर लै घर ऐ जानी
देराणी ज्येठाणी खुशि है जानी,
देवरै पिचकारि रंगिलि धार
भौजी कैं लागीं बसंत बहार ।
देवर भौजी और साव-भिन
रंगनेर हाय आपस में होइक दिन,
छलड़ि दिन मस्कूनी अबीर गुलाल
निरदइ करि दिनी गलाड़ बेहाल ।
रंगीलि होइल हाव महकि जैं
डान -पहाड़ों में होइ चहकि जैं,
भांग शराब होइ बै दूर छटकै दियो
सबूं कैं इंद्रैणीक रंग में रंगै दियो।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.03.2021
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