Monday 1 March 2021

Mankhiyeki jindagi : मनखीयेकि जिंदगी।

खरी खरी - 800 : मनखियेकि जिंदगी

मंखियैक जिंदगी
लै कसि छ,
हावक बुलबुल
माटकि डेल जसि छ ।

जसिके बुलबुल फटि जां
मटक डेल गइ जां,
उसके सांस उड़ते ही
मनखि लै ढइ जां ।

मरते ही कौनी
उना मुनइ करि बेर धरो,
जल्दि त्यथाण लिजौ
उठौ देर नि करो ।

त्यथाण में लोग कौनी
मुर्द कैं खचोरो,
जल्दि जगौल
क्वैल झाड़ो लकाड़ समेरो ।

चार घंट बाद
मुर्द राख बनि जां,
कुछ देर पैली लाखक छी
जइ बेर खाक बनि जां ।

मुर्दाक क्वैल बगै बेर
लोग घर ऐ जानीं,
घर आते ही जिंदगी की
भागदौड़ में लै जानीं ।

मनखियेकि राख देखि
मनखी मनखी नि बनन,
एकदिन सबूंल मरण छ
य बात याद नि धरन ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
02.03.2021

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