Friday 5 March 2021

Sabarmati ka Gandhi aur wo : साबरमती का गांधी और वो

खरी खरी - 803 : साबरमती का गांधी और वो

मैं बड़े ध्यान से देख रहा था
वातावरण पर गंभीर पहरा था
वो दूर सात समुद्र पार से आए
वो मेरे साबरमती आश्रम आए
बड़े लाव लस्कर समेत आए
चुनिंदा लोग ही अपने संग लाए
मेरे चित्र पर एक माला रोपी
जैसे कोई रश्म गई हो थोपी
वे मेरे चरखे के पास बैठे
लग रहे थे कुछ ऐंठे ऐंठे
कपास पकड़ सूत काता
सूत कपास से नहीं था नाता
मेरे बारे में पूछताछ भी की होगी
मेरी सादगी पर खीज़ भी उठी होगी
मेरे तीनों बंदरों को भी देखा
इधर उधर नजर घुमा कर देखा
मेज पर रखी आगंतुक पुस्तिका देखी
यह रश्म भी करनी थी देखादेखी
कुर्सी बैठ पन्ना खोला कलम खोली
बड़ी जल्दी थी जैसे चल रही हो गोली
मेरे बारे में तो कुछ लिखा नहीं
जैसे मेरा चित्र भी उन्हें दिखा नहीं
शायद वो मुझे भूल गए होंगे
चौधराहट के नशे में चूर रहे होंगे
मुझे लगा उन्हें कुछ तनाव था
उनके दिल-दिमाग में चुनाव था ।

- साबरमती का गांधी

(बाद में पता चला कि वे चुनाव हार गए ।)

पूरन चन्द्र कांडपाल
06.03.2021

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