खरी खरी - 806 : कुंभ के नाम पर
बाबा संत स्वामी नेता
बैरागी तांत्रिक औघड़
भीड़ तांता रेला
दुकान दर्शक दर्शन
आया कुंभ मेला ।
नहा लिया कुंभ
मिल गया फल
कट गए पाप
एक डुबकी से
अपने आप ।
बिका अंधविश्वास
पनपा रुढ़िवाद
नदिया के द्वार
खूब चली झोली
मन्नत की दुकान ।
चर्चा से दूर चिलम
पर -पीड़ा- पाप
परोपकार- पुण्य
प्रदूषण -विसर्जन
प्रकृति -निराकार ।
ईर्ष्या राग-द्वेष लूट
भ्रष्टाचार नशा घूस
मिलावट उत्पीड़न
अकर्मण्यता दुष्कर्म
स्नान से बेअसर ।
पाप काटने गए
कट गई जेब
लुटने के बाद
नजर आया
लुटेरों का फरेब ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
12.03.2021
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