Friday 11 December 2020

par updesh : पर उपदेश

खरी खरी - 753 : पर उपदेश

     अक्सर हम दूसरों को उपदेश देते हैं कि गलत काम न करें परन्तु स्वयं करते रहते हैं । मैंने कई कवियों को शराब, धूम्रपान और गुटके के विरोध में मंच से कविता पढ़ते देखा और मंच छोड़ते ही उन्हें शराब या सिगरेट या गुटका सेवन करते देखा । ये लोग द्वय चरित्र के होते हैं जो उचित नहीं है । दुनिया इन्हें देखती है परन्तु चुप रहती है । कुछ लोग हवन - यज्ञ या कर्मकांड करते समय भी मुंह में गुटका भरे हुए रहते हैं जिसकी निंदा की जानी चाहिए । यजमान ऐसे लोगों को टोकने के बजाय अनदेखी कर देते हैं  जो गलत है । डंगरिये शराब या भंगड़ी पीकर दुलैंच में बैठ अपनी आरती करवाते हैं और सौकार आंख बंद कर आरती करते हैं । इसी तरह कुछ वर्ष पहले एक अभीनेत्री ने दिवाली पर पटाखे नहीं चलाने की अपील की थी लेकिन उनकी शादी में जमकर आतिशबाजी हुई जिसकी खूब आलोचना भी हुई ।   

     आज कोरोना के दौर में भी यही हो रहा है । हमारे देश 98 लाख से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और 1.42 लाख लोग इस बीमारी के ग्रास भी बन चुके हैं । जो चले गए उनके परिवार पर क्या बीती वे ही जानते हैं । आज हमारे नेता कोरोना से बचने के भाषण देते हैं, नित नए नारे/मंत्र देते हैं परन्तु उन पर स्वयं नहीं चलते । हम सबने इन्हें भीड़ में जाते देखा, रैली करते देखा, जीत का जश्न मनाते देखा और कई बार बिना मास्क के देखा । खुद कानूनों की खिल्ली उड़ाने के बाद फिर भी ये दूसरों से कानून मानने की उम्मीद रखते हैं । हम सबसे अपील करते हैं कोरोना से बचने के लिए मास्क पहनें, देह दूरी रखें और अवांच्छित बाहर जाने से बचें ।

      हमारे देश में कानूनों की जमकर अवहेलना प्रतिदिन होती है परन्तु जब सेलिब्रेटी काननू की अवहेलना करते हैं तो एक गलत संदेश समाज में जाता है । उपदेश देना बहुत आसान होता है । हम जो भी उपदेश समाज को दें उस पर पहले खुद अमल करें । समाज को सेलिब्रेटी से देश के हित में कुछ सार्थक करने की उम्मीद होती है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
12.12.2020

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