Sunday 27 December 2020

Jaimala mein bewade dost : जयमाला में बेवड़े दोस्त

खरी खरी - 764 :  जयमाला में बेवड़े दोस्त

        हम सब कहते हैं कि ज़माना बदल गया है | पहले के जमाने में ऐसा होता था, वैसा होता था | सत्य तो यह है कि ज़माना नहीं बदलता बल्कि वक्त गुजरने के साथ कुछ परिवर्तन होते रहता है |  कई शादियों में निमंत्रण निभाया और तरह तरह का बदलाव देखा | धीर-धीरे कैमरे को खुश करने के लिए बहुत कुछ बदलाव हो रहा है | कई बार वर-वधू को दुबारा पोज देने के लिए कहा जाता है | मस्ती के दौर में दोस्त उनसे मुस्कराने की फर्मायस करते हैं | आखिर कोई कितनी देर तक मुस्कराने की एक्टिंग कर सकता है, यह तो मेकअप से लथपथ बेचारी दुल्हन ही जानती है |

     अब बात एक जयमाला की कर लें | इस सीन में जो हो रहा है वह भी बहुत अटपटा है । जयमाला मंच के इस सीन में दूल्हा दोस्तों से घिरा है ( कुछ बेवड़े भी लेकिन होश में ) और दुल्हन भाइयों और सहेलियों से घिरी है | दुल्हन को कैमरे से पहले इशारा मिला कि जयमाला दूल्हे को पहनाओ | ज्योंही वह एक कदम आगे बढाकर जयमाला पहनाने लगी तो दूल्हे के दोस्तों ने दूल्हे को ऊपर उठा लिया | दुल्हन पहला चांस मिस हो गया और वह टैंस हो गयी जबकि कैमरा ऐक्सन में है | तुरंत भाइयों के हाथों में उठी हुई दुल्हन ने दूसरा प्रयास किया और जैसे –तैसे दोस्तों द्वारा ऊपर उठाये गए, पीछे की ओर टेड़ा तने हुए दूल्हे के गले में जयमाला ठोक दी जैसे घर में घुसे हुए तैंदुवे के गले में बड़ी मुश्किल से रस्सी डाल दी हो |

      इसी तरह दूल्हे को भी दो बार प्रयास करने पर सफलता मिली | दुल्हन का आर्टिफीसियल जेवर भी हिल गया और मेकअप का डिजायन भी बिगड़ गया | एक शादी में तो इस धक्कामुक्की में दूल्हे की माला भी टूट गयी | दोनों ओर के कबड्डी खिलाड़ियों से कहना चाहूंगा कि ये ऊपर उठाने का फंडा बंद करो और दोनों को ही असहज होने से बचाओ | ऐसा न हो कि गर्दन को माला से बचाने के चक्कर में दोनों में से एक गिर जाय | एक जगह तो दूल्हा - दुल्हन के लिए रखा हुआ सोफ़ा ही मंच पर पलट गया । दूल्हा नीचे गिरने से बाल - बाल बच गया । ये दूल्हे को ऊपर उठाने का भद्दा रिवाज पता नहीं कहां से ले आए लोग ?

      प्यार से नजाकत के साथ दूल्हा - दुल्हन को एक –दूसरे के पास ले जाकर मुस्कराते हुए मधुर मिलन से माल्यार्पण करना बहुत रोचक लगेगा | देखनेवाले भी रोमांचित होंगे और यह मिलन का क्षण अविस्मरणीय बं जाएगा | बेचारों का टेनसन भरा मुर्गा खेल मत कराओ | इस भौंडी हरकत से दोनों तरफ के अभिभावक बहुत असहज महसूस करते हैं और दुखी होते हैं । बेवडों को तो जयमाला मंच से दूर रखना चाहिए ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
28.12.2020

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